आगाज अमन का बहुत हुआ,
अंजाम युद्ध हो जाने दो।
हर रोज बिखरकर हम रोएं,
हो एकसाथ रो लेने दो।
हो अमन-चैन की बैग यहां,
गद्दारों को धो लेने दो।
आगाज अमन का बहुत हुआ,
अंजाम युद्ध हो लेने दो ।1।
हम तिल को ताड़ बनाएं ना,
हो वक्त कोई झुक पाएं ना।
सरहद की छोटी मेरी हो,
हम पीछे कदम डिगाएं ना।
संकल्प लिए हम रक्षा की,
कुछ हमको भी कर लेने दो।
आगाज अमन का बहुत हुआ,
अंजाम युद्ध हो लेने दो ।2।
हर रोज ही अरि की गोली से,
कोई कुनबा उड़ जाता है।
मां के आंचल में शीश नवा,
वह तेरे हित सुजाता है।
अब आगे और नहीं होवे,
कुछ हमको भी कर लेने दो ।3।