महाशिवरात्रि पर कविता : हे पार्वती पति !
हे पार्वती पति !
अविनाशी
व्योमकेश
मैं न जानती
तेरा पूजन विशेष
योग भी ना समझूं
ना आती अर्चना,
बस तू ही अंतस में
तू ही मानस में
तू ही अंतरंग में
तू ही बहिरंग में
और मैं रहती
तेरी आवृत्तियों
में
सदा से गुम
और रहूंगी!
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