डोरबेल बजी सामने पार्सल लिए डिलेवरी बॉय खड़ा था।
सुहानी ने पार्सल ले लिया। उसने बिना किसी उत्सुकता के पार्सल को सोफे पर बोझिल मन से रख दिया।
अपने पति विक्रम को फोन लगाया - "सुनिए मुझे पार्सल मिलने के साथ ही पता चल गया है कि आपको देशसेवा और फौज के दायित्वों के चलते फिर छुट्टी नहीं मिल पाई है। कोई बात नहीं, देश के दायित्व, प्रेमदिवस से बढ़कर है। आपका इंतजार भी हमारे वेलेंटाइन का सात्विक रूप ही तो है।"
विक्रम -"मेरी प्यारी, समझदार सुहानी मुझे तुम पर बहुत गर्व है। अच्छा देखों अभी ड्यूटी पर हूँ। मुझें तोहफा देखकर बताना कि कैसा लगा। मैं तुमसे बाद में बात करता हूँ।"
सुहानी ने अब इंतजार की नई आस बाँधे, पति की भेजी सौगात को बहुत प्यार से निहारा और दिल के भाव पढ़ने लगी।
©®सपना सी.पी. साहू "स्वप्निल"