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लघुकथा : अनबन

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प्रज्ञा पाठक

- प्रज्ञा पाठक

 
भाई-बहन में अनबन हुई, तो माता-पिता ने सुलझा दी। पति-पत्नी में अनबन हुई, तो माता-पिता अथवा संतानों ने सुलझा दी। सास-बहू में अनबन हुई, तो ससुर या पति ने सुलझा दी। विद्यालय में छात्रों के मध्य अनबन हुई, तो शिक्षकों ने सुलझा दी। सरकारी कर्मचारियों की अनबन को सरकार ने और निजी कर्मचारियों की अनबन को प्रबंधन ने सुलझा दिया। लेकिन जब राजनीति के 'राज' और 'नीति' में अनबन हुई, तो उसे सुलझाने वाले शख़्स की रचना करने में ईश्वर ने भी पानी मांग लिया। 

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