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रोशनी

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- विनीता तिवारी
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भ्रमण के दौरान निकले एक राजा को एक अँधेरी गुफा नजर आई। उसमें लोग तो रहते थे लेकिन अँधेरे में, रोशनी के बिना! राजा ने तुरंत मंत्री से कहकर वहाँ कुछ लैंपों का प्रबंध करवा दिया।

करीब वर्ष भर बाद राजा उसी मार्ग से फिर गुजरा पर गुफा अब भी अँधेरी नजर आई।

भीतर जाकर देखा तो पाया कि लैंपों का तेल कब का समाप्त हो चुका था, और लेंप टूट-फूट चुके थे। राजा को क्रोध आया और दुःख भी हुआ। उन्होंने मंत्री से पूछा, ऐसा क्यों हुआ।
  भ्रमण के दौरान निकले एक राजा को एक अँधेरी गुफा नजर आई। उसमें लोग तो रहते थे लेकिन अँधेरे में, रोशनी के बिना! राजा ने तुरंत मंत्री से कहकर वहाँ कुछ लैंपों का प्रबंध करवा दिया।      


मंत्री ने कहा- राजन, आपने लैंप मर्दों को दिए थे, इसीलिए उनकी देखभाल न हो सकी। अगर एक भी लैंप किसी औरत को दिया होता तो आज रोशनी ही रोशनी होती। रोशनी को सहेजना औरत खूब जानती है।


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