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(शनि प्रदोष)
  • तिथि- ज्येष्ठ कृष्ण द्वादशी
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00
  • त्योहार/व्रत/मुहूर्त-वट सावित्री व्रतारंभ, पंचक स., शनि प्रदोष
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
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शनि महाराज के बारे में 3 रोचक जानकारियां, शर्तिया यहां जाने से होगा शनि दोष दूर

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WD Feature Desk

, शनिवार, 24 मई 2025 (12:24 IST)
सूर्य और छाया के पुत्र शनिदेव को कर्मों का फल देने वाला देवता माना जाता है। वे दंड नायक यानी न्यायाधीश हैं। उनके दंड से सिर्फ हनुमानजी ही बचा सकते हैं। शनिदेव को रावण ने भले ही बंधक बना लिया था लेकिन रावण को उसके कर्मों की सजा तो शनिदेव के कारण ही मिली थी। आओ जानते हैं महान देव शनिदेव के बारे में 5 रोचक जानकारी।ALSO READ: शनि जयंती पर शनिदेव को लगाएं ये भोग, जानें कौन से और कैसे चढ़ाएं नैवेद्य
 
1. शनिदेव और श्रीकृष्‍ण: जनश्रुति कथा के अनुसार मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था तब स्वर्ग से सभी देवताओं के साथ शनिदेव की कृष्ण के बाल रूप को देखने मथुरा आए थे। नंदबाबा को जब यह पता चला तो उन्होंने भयवश शनिदेव को दर्शन कराने से मना कर दिया। नन्द बाबा को लगा कि शनिदेव की दृष्टि पड़ते ही कहीं कृष्ण के साथ कुछ अमंगल न हो जाए। तब मानसिक रूप से शनिदेव ने भगवान श्रीकृष्ण से दर्शन देने की विनती की तो कृष्ण ने शनिदेव को कहा कि वे नंदगांव के पास के वन में जाकर तपस्या करें, वहीं मैं उन्हें दर्शन दूंगा। बाद में शनिदेव की तपस्या से भगवान श्रीकृष्ण बहुत प्रसन्न हुए और कोयल के रूप में उन्होंने शनिदेव को दर्शन दिया। ALSO READ: शनि प्रदोष व्रत बदल सकता है आपकी किस्मत, जानें महत्व और 5 लाभ
 
शनिदेव का यह मंदिर मथुरा के कोसीकलां (कोकिलावन) में स्थित है। इस मंदिर की मान्यता भी शनि शिंगणापुर की तरह ही मानी गई है। उत्तरप्रदेश के कोशी से छह किलोमीटर दूर कोकिलावन स्थित है।  मान्यता है कि जो इस वन की परिक्रमा करके शनिदेव की पूजा करेगा वहीं कृष्ण की कृपा पाएंगे। उस पर से शनिदेव का प्रकोप भी हठ जाएगा। मंदिर के चारों ओर करीब 3 किलोमीटर के गोल घेरे में परिक्रमा पथ बना हुआ है। यहां आने वाले भक्त भगवान शनि की पूजा करने से पहले मंदिर की परिक्रमा करते हैं।
 
2. शनिदेव का प्रकोप: कहा जाता है कि एक समय था, जब शनिदेव का गुजरात के एक गांव पर भारी प्रकोप था। लोगों में हाहाकार मचा हुआ था। मृत्युतुल्य कष्ट हो रहा था। आखिरकार भक्तों ने अपनी फरियाद बजरंग बली से की। भक्तों की बातें सुनकर हनुमानजी शनिदेव को मारने के लिए उनके पीछे पड़ गए। अब शनिदेव के पास जान बचाने का आखिरी विकल्प बाकी था, सो उन्होंने स्त्री रूप धारण कर लिया क्योंकि उन्हें पता था कि हनुमानजी बाल ब्रह्मचारी हैं और वे किसी स्त्री पर हाथ नहीं उठाएंगे। लेकिन कहते हैं कि भगवान राम के आदेश से उन्होंने स्त्री-स्वरूप शनिदेव को अपने पैरों तले कुचल दिया और गांव को शनिदेव के अत्याचार से मुक्ति कराया।ALSO READ: शनि अमावस्या पर सिर से हट जाएगा पितृ दोष का साया, करिए ये अचूक उपाय
 
गुजरात के भावनगर के सारंगपुर में विराजने वाले कष्‍टभंजन महाराजाधिराज हनुमान यहां हनुमान दादा के नाम से पुकारे जाते हैं। अहमदाबाद-भावनगर रेलवे लाइन पर स्थित बोटाद जंक्शन से सारंगपुर लगभग 12 मील दूर है। अहमदाबाद से भावनगर की ओर जाते हुए करीब 175 किलोमीटर की दूरी पर कष्‍टभंजन हनुमान का यह दिव्‍य धाम है। सोने के सिंहासन पर विराजमान हनुमान दादा की यहां स्थित मूर्ति के चरणों में शनि महाराज विराजमान हैं। हनुमानजी के इस दर पर आकर भक्‍तों का हर दुख, उनकी हर तकलीफ का इलाज हो जाता है, फिर चाहे बात बुरी नजर हो, भूत पीड़ा या शनिपीड़ा हो या कोई और समस्या हो सभी से मुक्ति मिल जाती है।
 
3. 16 वर्ष की आयु के पहले नहीं होता कष्ट: कथा है कि पिप्पलाद ने देवताओं से पूछा- क्या कारण है कि मेरे पिता दधीचि जन्म से पूर्व ही मुझे छोड़कर चले गए? जन्म होते ही मेरी माता भी सती हो गई और बाल्यकाल में ही मैं अनाथ होकर कष्ट झेलने लगा। यह सुनकर देवताओं ने बताया शनिग्रह की दृष्टि के कारण ही ऐसा कुयोग बना है। 
 
पिप्पलाद यह सुनकर बड़े क्रोधित हुए और कहने लगे की यह शनि नवजात शिशुओं को भी नहीं छोड़ता है। उसे इतना अहंकार है। तब एक दिन उनका सामना शनि से हो गया तो महर्षि से अपने ब्रह्मदंड उठाया और उससे शनि पर प्रहारा किया जिससे शनिदेव ब्रह्मदंड का प्रहार नहीं सह सकते थे इसलिए वे उससे डर कर भागने लगे। तीनों लोगों की परिक्रमा करने के बाद भी ब्रह्म दंड ने शनिदेव का पीछा नहीं छोड़ा और उनके पैर पर आकर लगा जिससे शनिदेव लंगड़े हो गए। 
 
देवताओं ने पिप्पलाद मुनि से शनिदेव को क्षमा करने के लिए विनय किया तब पिप्पलाद मुनि से शनिदेव को क्षमा को कर दिया। देवताओं की प्रार्थना पर पिप्पलाद ने शनि को इस बात पर क्षमा किया कि शनि जन्म से लेकर 16 साल तक की आयु तक किसी को कष्ट नहीं देंगे। तभी से पिप्पलाद का स्मरण करने मात्र से शनि की पीड़ा दूर हो जाती है।
 
पिप्पलाद ऋषि का आश्रम मुख्य रूप से नर्मदा नदी के किनारे, खरगोन जिले में स्थित श्री पीपलेश्वर महादेव मंदिर के पास है। यह स्थान पिप्पलाद ऋषि के तपस्या स्थल के रूप में जाना जाता है। यहां जाकर ऋषि की पूजा करें और पिप्पलाद ऋषिकृत शनि स्तोत्रं का पाठ करने से शनि दोष दूर हो जाएगा।
 

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