Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(दीपावली पूजन)
  • तिथि- आश्विन कृष्ण अमावस
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00 तक
  • व्रत/मुहूर्त-दीपावली/भ. महावीर निर्वाण, लक्ष्मी पूजन
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
webdunia
Advertiesment

हिंदू धर्म में कनेर के फूल का क्या है महत्व और कैसे दूर करता है वास्तु दोष

हमें फॉलो करें Kaner plant
Kaner plant benefits: कनेर के पौधे का हिन्दू धर्म और वास्तु शास्त्र में बहुत महत्व है। इसके फूल बहुत ही सुंदर और तीन प्रकार के होते हैं। एक सफेद कनेर, दूसरी लाल कनेर और तीसरी पीली कनेर। तीनों ही घर की सुंदरता बढ़ते हैं। आओ जानते हैं हिंदू धर्म और वास्तु शास्त्र में इसके महत्व को।
 
हिंदू धर्म में कनेर का महत्व:-
कनेर के पौधे को देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। 
देवी लक्ष्मी को सफेद कनेर के फूल चढ़ाए जाते हैं।
सफेद फूलों वाले कनेर का पेड़ मां लक्ष्मी को प्रिय है।
कनेर के पीले रंग के फूल भगवान विष्णु को प्रिय होते हैं।
पीले फूलों वाले कनेर के पेड़ पर साक्षात विष्णु भगवान बसते हैं। 
हिंदू धर्म के अनुसार इसे घर में लगाने से धन समृद्धि बढ़ती है।
webdunia
वास्तु शास्त्र में कनेर के पौधे का महत्व:-
वास्तु शास्त्र के अनुसार कनेर का पौधा सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण करके शुभकर्ता माना गया है।
कनेर का पौधा मन को शांत रखता है और वातावरण में सकारात्मकता लाता है।
इस पौधे को उचित नक्षत्र और वार को घर के आंगन में लगाना चाहिए।
कनेर का पौधा गार्डन की सुंदरता बढ़ाने के लिए भी लगाया जाता है। 
सफेद कनेर के फूलों को मां लक्ष्मीजी की पूजा में रखा जाए तो माता प्रसन्न होकर जातक के घर ठहर जाती है।
कहते हैं कि जिस तरह कनेर का पेड़ पूरे साल फूलों से भरा रहता है उसी प्रकार इसे घर में लगाए जाने से पूरे साल घर में धन का आगमन रहता है।
कनेर के पीले फूलों से भगवान श्रीहरि की पूजा करने पर पारिवारिक खुशहाली आती है, धन संपत्ति बढ़ती है और मांगलिक काम में रुकावटें नहीं आती है।
ध्‍यान रखें कि इस पौधे को कभी घर में नहीं आंगन या घर के आसपास उचित दिशा में लगाया जाता है। 
 
आयुर्वेद में कनेर के पौधे का महत्व:-
कनेर की पत्तियां, फूल और छाल के कई औषधीय गुण होते हैं। 
इसके प्रयोग से घाव भरे जाते हैं।
यह सिरदर्द, दंतपीड़ा और फोड़े-फुंसियों में भी यह बहुत फायदेमंद है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी आज, जानें महत्व, शुभ मुहूर्त और सरल पूजा विधि