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  • तिथि- कार्तिक शुक्ल अष्टमी
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00 तक
  • व्रत/मुहूर्त-गोपाष्टमी पर्व, पंचक प्रारंभ
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
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Jitiya 2023: 6 अक्टूबर को जितिया व्रत, जानें महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

हमें फॉलो करें Jitiya 2023: 6 अक्टूबर को जितिया व्रत, जानें महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
Jitiya Vrat 2023: इस वर्ष जितिया व्रत यानी जीवित्पुत्रिका व्रत 6 अक्‍टूबर 2023, दिन शुक्रवार को रखा जाएगा। हिन्दू धर्म के अनुसार माताएं प्रतिवर्ष आश्विन मास के कृष्‍ण पक्ष की अष्‍टमी तिथि को अपने बच्‍चों की सलामती के लिए यह निर्जला व्रत करती हैं। उत्तर पूर्वी राज्यों में यह व्रत बहुत लोकप्रिय है। यह व्रत मुख्य रूप से यूपी, बिहार और झारखंड के कई क्षेत्रों में किया जाता है। इस दिन संतान प्राप्ति एवं उसकी लंबी आयु के लिए महिलाएं व्रत रखती है। 
 
महत्व: धार्मिक शास्त्रों के अनुसार सनातन धर्मावलंबियों में जितिया/जिउतिया व्रत का खास महत्व है। अत: आश्विन कृष्ण अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका/ जीमूतवाहन व्रत करने का बड़ा माहात्म्य होने के कारण इस दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला उपवास करती हैं। इस व्रत का ऐतिहासिक और परंपरा के अनुसार बड़ा ही महत्व है। जिउतिया व्रत में सरगही या ओठगन की परंपरा भी है। इस व्रत में सतपुतिया की सब्जी का विशेष महत्व है। रात को बने अच्छे पकवान में से पितरों, चील, सियार, गाय और कुत्ता का अंश निकाला जाता है। सरगी में मिष्ठान आदि भी होता है। 
 
मान्यता के अनुसार महाभारत के युद्ध में पिता की मौत के बाद अश्वत्थामा बहुत नाराज था। सीने में बदले की भावना लिए वह पांडवों के शिविर में घुस गया। शिविर के अंदर पांच लोग सो रहे थे। अश्वत्थामा ने उन्हें पांडव समझकर मार डाला। कहा जाता है कि सभी द्रौपदी की पांच संतानें थीं। अर्जुन ने अश्वत्थामा को बंदी बनाकर उसकी दिव्य मणि छीन ली। क्रोध में आकर अश्वत्थामा ने अभिमन्यु की पत्नी के गर्भ में पल रहे बच्चे को मार डाला।
 
ऐसे में भगवान कृष्ण ने अपने सभी पुण्यों का फल उत्तरा की अजन्मी संतान को देकर उसके गर्भ में पल रहे बच्चे को पुन: जीवित कर दिया। भगवान श्री कृष्ण की कृपा से जीवित होने वाले इस बच्चे को जीवित्पुत्रिका नाम दिया गया। तभी से संतान की लंबी उम्र और मंगल कामना के लिए हर साल जिउतिया व्रत रखने की परंपरा को निभाया जाता है। 
 
महिलाएं यह व्रत छठ पर्व की तरह ही निर्जला और निराहार रह कर करती हैं। जिउतिया व्रत से एक दिन पहले सप्तमी को मिथिलांचलवासियों में भोजन में मड़ुआ रोटी के साथ मछली भी खाने की परंपरा है। जिनके घर यह व्रत नहीं भी होता है उनके यहां भी मड़ुआ रोटी व मछली खाई जाती है। व्रत से एक दिन पहले आश्विन कृष्ण सप्तमी को व्रती महिलाएं भोजन में मड़ुआ की रोटी व नोनी की साग बनाकर खाती हैं। अत: जीवित्पुत्रिका व्रत के दिन मिथिला में मड़ुआ रोटी और मछली खाने की परंपरा है। 
 
पूजन विधि- Jivitputrika Vrat 2023 Puja Vidhi 
 
1. जीवित्पुत्रिका या जीमूतवाहन व्रत का पूजन प्रदोष काल व्यापिनी अष्टमी को होता है। इस व्रत के लिए यह भी आवश्यक है कि पूर्वाह्न काल में पारण हेतु नवमी तिथि प्राप्त हो। अत: उदया अष्टमी को प्रदोष काल में ही जीमूतवाहन की पूजा करके नवमी तिथि को पारण करना चाहिए। 
 
2. इस पूजन के लिए व्रती प्रदोष काल में यानी शाम 4:28 से रात्रि 7:32 मिनट तक स्नान से पवित्र होकर संकल्प के साथ गाय के गोबर से पूजा स्थल को लीप कर स्वच्छ करने के साथ ही एक छोटा-सा तालाब भी वहां बनाना होता है।
 
3. तालाब के निकट एक पाकड़ की डाल लाकर खड़ा कर दें। 
 
4. शालिवाहन राजा के पुत्र धर्मात्मा जीमूतवाहन की कुशनिर्मित मूर्ति जल या मिट्टी के पात्र में स्थापित कर दें।
 
5. फिर उन्हें पीली और लाल रुई से अलंकृत करें तथा धूप, दीप, अक्षत, फूल, माला एवं विविध प्रकार के नैवेद्यों से पूजन करें। 
 
6. मिट्टी तथा गाय के गोबर से मादा चील और मादा सियार की मूर्ति बनाएं। उन दोनों के मस्तकों पर लाल सिन्दूर लगा दें।
 
7. अपने वंश की वृद्धि और प्रगति के लिए उपवास कर बांस के पत्रों से पूजन करना चाहिए। 
 
8. इसके पश्चात जीवित्पुत्रिका व्रत एवं माहात्म्य की कथा का श्रवण करें, अथवा पढ़ें।
 
9. इस दिन निर्जला व्रत रखें, जल, फल या अन्न आदि ग्रहण नहीं करना चाहिए। 
 
10. कलयुग में भी जीवित्पुत्रिका व्रत का पूरा प्रभाव मिलता है। 
 
जीवित्पुत्रिका व्रत के मुहूर्त 2023 में : Jivit Putrika Vrat Friday
 
शुक्रवार, अक्टूबर 6, 2023 को जीवित्पुत्रिका व्रत  
आश्विन कृष्ण अष्टमी का तिथि प्रारंभ- 5 अक्टूबर 2023, गुरुवार को 10.04 पी एम से
अष्टमी तिथि की समाप्ति- 6 अक्टूबर 2023, शुक्रवार को 11.38 पी एम पर होगी। 
सर्वार्थ सिद्धि योग- 01.02 पी एम से 7 अक्टूबर 05.10 ए एम तक। 
 
ब्रह्म मुहूर्त- 03.36 ए एम से 04.23 ए एम
प्रातः सन्ध्या- 04.00 ए एम से 05.11 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 10.53 ए एम से 11.42 ए एम
विजय मुहूर्त- 01.19 पी एम से 02.08 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 05.24 पी एम से 05.48 पी एम
सायाह्न सन्ध्या- 05.24 पी एम से 06.35 पी एम
निशिता मुहूर्त- 10.53 पी एम से 11.41 पी एम तक।
 
6 अक्टूबर दिन का चौघड़िया
 
चर- 05.11 ए एम से 06.42 ए एम
लाभ -06.42 ए एम से 08.14 ए एम
अमृत- 08.14 ए एम से 09.46 ए एमवार वेला
शुभ -11.17 ए एम से 12.49 पी एम
चर- 03.52 पी एम से 05.24 पी एम
 
रात्रि का चौघड़िया
 
लाभ- 08.20 पी एम से 09.49 पी एम
शुभ- 11.17 पी एम से 07 अक्टूबर 12.45 ए एम 
अमृत- 12.45 ए एम से 07 अक्टूबर 02.13 ए एम
चर- 02.13 ए एम से 07 अक्टूबर 03.42 ए एम तक। 
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। वेबदुनिया इसकी पुष्टि नहीं करता है। इनसे संबंधित किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।


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