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श्री रामजी ने भी उड़ाई थी पतंग, पढ़ें रोचक जानकारी

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हमें फॉलो करें श्री रामजी ने भी उड़ाई थी पतंग, पढ़ें रोचक जानकारी

WD Feature Desk

, शनिवार, 11 जनवरी 2025 (15:46 IST)
ramcharitmanas balkand : मकर संक्रांति पतंगबाजी का विशेष पर्व है। इस दिन पतंग उड़ाने का विशेष महत्व होने के कारण पूरे हर्षोल्लास के साथ यह पर्व मनाया जाता है और पतंग उड़ाई जाती है। आपको बता दें कि प्रसिद्ध धार्मिक ग्रंथ 'रामचरित मानस' के आधार पर प्रभु श्रीराम ने अपने भाइयों तथा हनुमान जी के साथ पतंग उड़ाई थी।ALSO READ: पतंग उत्सव क्यों है मकर संक्रांति पर्व का हिस्सा?
 
प्रसिद्ध धार्मिक ग्रंथ 'रामचरित मानस' के आधार पर श्रीराम ने अपने भाइयों के साथ पतंग उड़ाई थी। इस संदर्भ में 'बालकांड' में उल्लेख मिलता है-
 
'राम इक दिन चंग उड़ाई।
इन्द्रलोक में पहुंची जाई।।'
 
बड़ा ही रोचक प्रसंग है। पंपापुर से हनुमानजी को बुलवाया गया था, तब हनुमानजी बालरूप में थे। जब वे आए, तब 'मकर संक्रांति' का पर्व था। श्रीराम भाइयों और मित्र मंडली के साथ वे पतंग उड़ाने लगे। कहा गया है कि वह पतंग उड़ते हुए देवलोक तक जा पहुंची।

उस पतंग को देखकर इंद्र के पुत्र जयंत की पत्नी बहुत आकर्षित हो गई। वह उस पतंग और पतंग उड़ाने वाले के प्रति सोचने लगी-
 
'जासु चंग अस सुन्दरताई।
सो पुरुष जग में अधिकाई।।'
 
इस भाव के मन में आते ही उसने पतंग को हस्तगत कर लिया और सोचने लगी कि पतंग उड़ाने वाला अपनी पतंग लेने के लिए अवश्य आएगा। वह प्रतीक्षा करने लगी। उधर पतंग पकड़ लिए जाने के कारण पतंग दिखाई नहीं दी, तब बालक श्रीराम ने बाल हनुमान को उसका पता लगाने के लिए रवाना किया।ALSO READ: Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति पर तिल के 6 उपयोग आपकी किस्मत को चमका देंगे
 
पवनपुत्र हनुमान आकाश में उड़ते हुए इंद्रलोक पहुंच गए। वहां जाकर उन्होंने देखा कि एक स्त्री उस पतंग को अपने हाथ में पकड़े हुए हैं। उन्होंने उस पतंग की उससे मांग की। 
 
उस स्त्री ने पूछा- 'यह पतंग किसकी है?'
 
हनुमान जी ने रामचंद्रजी का नाम बताया। इस पर उसने उनके दर्शन करने की अभिलाषा प्रकट की। 
 
हनुमान जी यह सुनकर लौट आए और सारा वृत्तांत श्रीराम को कह सुनाया। श्रीराम ने यह सुनकर हनुमानजी को वापस भेजा कि वे उन्हें चित्रकूट में अवश्य ही दर्शन देंगे। हनुमान जी ने यह उत्तर जयंत की पत्नी को कह सुनाया जिसे सुनकर जयंत की पत्नी ने पतंग छोड़ दी।
 
इस संबंध में कथन है कि-
 
'तिन तब सुनत तुरंत ही, दीन्ही छोड़ पतंग।

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