Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(सप्तमी तिथि)
  • तिथि- मार्गशीर्ष कृष्ण सप्तमी
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00 तक
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
  • व्रत/दिवस-झलकारी बाई ज., दुर्गादास राठौर दि.
webdunia
Advertiesment

पर्युषण के अंतिम दिन दिगंबर क्यों कहते हैं- उत्तम क्षमा, जानिए दसलक्षण

हमें फॉलो करें पर्युषण के अंतिम दिन दिगंबर क्यों कहते हैं- उत्तम क्षमा, जानिए दसलक्षण
, शनिवार, 30 सितम्बर 2023 (15:01 IST)
Uttam kshama: श्वेतांबर और दिगंबर जैन समाज के पर्युषण पर्व भाद्रपद मास में मनाए जाते हैं। श्वेतांबर के व्रत समाप्त होने के बाद दिगंबर समाज के व्रत प्रारंभ होते हैं। श्वेतांबर समाज 8 दिन तक पर्युषण पर्व मनाते हैं जबकि दिगंबर 10 दिन तक मनाते हैं जिसे वे 'दसलक्षण' कहते हैं। अंतिम दिन श्वेतांबर 'मिच्छामि दुक्कड़म्' तो दिगंबर जैन 'उत्तम क्षमा' कहते हुए लोगों से क्षमा मांगते हैं।
 
ये दसलक्षण हैं- क्षमा, मार्दव, आर्नव, सत्य, संयम, शौच, तप, त्याग, आकिंचन्य एवं ब्रह्मचर्य। इसे 'दसलाक्षिणी' पर्व भी कहा गया है। यह संतों के साथ ही गृहस्थों के लिए भी कर्तव्य कहे गए हैं। गृहस्थों को इन 10 दिनों तक दसलक्षण का पालन करना चाहिए।
 
1. क्षमा : अर्थात्‌ उत्तम क्षमा को धारण करने से मैत्रीभाव जागृत होता है। इससे कुटिलताएं समाप्त होकर शत्रुता मिट जाती है।
 
2. मार्दव : अर्थात्‌ उत्तम मार्दव धर्म को धारण करने या अपनाने से मान व अहंकार का मर्दन हो जाता है तब विनम्रता और विश्वास प्राप्त होता।
 
3. आर्जव : अर्थात्‌ उत्तम आर्जव को अपनाने से मन राग-द्वेष से मु‍क्त होकर एकदम निष्कपट हो जाता है। सरल हृदय व्यक्ति के जीवन में ही सुख, शांति और समृद्धि होती है।
 
4. सत्य : अर्थात्‌ जो मन, वचन और कर्म से सत्य को अपनाता है उसकी संसार सागर से मुक्ति निश्चित है।
 
5. शौच : परमशांति हेतु मन को निर्लोभी बनानाना और संतोष धारण करना ही शौच है।
 
6. संयम : संयम धारण करने वाले मनुष्य का जीवन सार्थक तथा सफल है। इससे कई तरह की फिजूल बातों से बचा जा सकता है।
 
7. तप : शास्त्रों में वर्णित बारह प्रकार के तप से जो मानव अपने तन, मन और संपूर्ण जीवन को परिमार्जिन या शुद्ध करता है, उसके जन्म जन्मांतर के पाप कटकर कर्म नष्ट हो जाते हैं।
 
8. त्याग : मन, वचन और कर्म से जो त्याग करता है उसके लिए मुक्ति सुलभ है। त्याग में ही संतोष और शांति का भाव है।
 
9. अंकिचन : जिस व्यक्ति ने अंतर बाहर 24 प्रकार के परिग्रहों का त्याग कर दिया है, वो ही परम समाधि अर्थात्‌ मोक्ष सुख पाने का हकदार है।
 
10. ब्रह्मचर्य : ब्रह्मचर्य का पालन करने वाले को रिद्धि, सिद्धि, शक्ति और मोक्ष मिलत है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

विदेशी ईसाई महिला गुरु एनी बेसेंट और भारत, जानिए रहस्य की बात