Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
  • तिथि- कार्तिक शुक्ल द्वितीया
  • शुभ समय-9:11 से 12:21, 1:56 से 3:32 तक
  • व्रत/मुहूर्त-भाई दूज, चित्रगुप्त पूजा, यम द्वितीया/यमुना स्नान
  • राहुकाल- सायं 4:30 से 6:00 बजे तक
webdunia
Advertiesment

7 जनवरी : राजिम भक्तिन माता की याद में मनाया जाता है खास दिन

राजिम भक्तिन माता जयंती : 7 जनवरी

हमें फॉलो करें 7 जनवरी : राजिम भक्तिन माता की याद में मनाया जाता है खास दिन

अनिरुद्ध जोशी

, गुरुवार, 6 जनवरी 2022 (08:12 IST)
भारत के छत्तीसगढ़ राज्य का राजिम क्षेत्र रायपुर जिले में महानदी के तट पर स्थित है। यहां 'राजिम' या 'राजीवलोचन' भगवान रामचंद्र का प्राचीन मंदिर है। राजिम का प्राचीन नाम पद्मक्षेत्र था। पद्मपुराण के पातालखण्ड अनुसार भगवान राम का इस स्थान से संबंध बताया गया है।
 
राजिम में महानदी और पैरी नामक नदियों का संगम है। संगम स्थल पर 'कुलेश्वर महादेव का प्राचीन मंदर है। इस मंदिर का संबंध राजिम की भक्तिन माता से है। कहते हैं कि छत्तीसगढ़ राज्य के राजिम क्षेत्र राजिम माता के त्याग की कथा प्रचलित है और भगवान कुलेश्वर महादेव का आशीर्वाद इस क्षेत्र को प्राप्त है।
 
 
इसी कारण राजिम भक्तिन माता जयंती 7 जनवरी को राजिम भक्तिन माता की याद में मनाई जाती है। छत्तीसगढ़ के लाखों श्रद्धालु यहां एकत्र होकर माता की पूजा करते हैं। राजिवलोचन मंदिर में लगे शिलालेख के अनुसार कलचुरी राजा जगपाल देव के शिलालेख में माता का उल्लेख मिलता है। 3 जनवरी 1145 को शिलालेख लगाया गया था। कहते हैं कि यहां साहू समाज के लोग एकत्र होते हैं।
 
 
एक स्थानीय दंतकथा के अनुसार इस स्थान का नाम 'राजिव' या 'राजिम' नामक एक तैलिक स्त्री के नाम से हुआ था। कुलेश्वर मंदिर के भीतर 'सतीचैरा' है, जिसका संबंध इसी स्त्री से हो सकता है। यहां भगवान रामचंद्र और कुलेश्वर महादेव के मंदिर के अलावा जगन्नाथ मन्दिर, भक्तमाता राजिम मन्दिर और सोमेश्वर महादेव मन्दिर भी है।
 
 
इस स्थान का नाम राजिम तेलिन के नाम पर इसलिए पड़ा क्योंकि यहां के तैलिय वंश लोग तिलहन की खेती करते थे। इन्हीं तैलिन लोगों में एक धर्मदास भी था जिसकी पत्नी का नाम शांतिदेवी था। दोनों विष्णु के भक्त थे और उनकी बेटी का नाम राजिम था। राजिम का विवाह अमरदास नामक व्यक्ति से हुआ। राजिम भी विष्णु की भक्त थी जो मूर्ति विहीन राजीवलोचन मंदिर में जाकर पूजा करती थी। राजिम की भक्ति, त्याग और तपस्या के चलते ही वह संपूर्ण क्षेत्र में माता की तरह प्रसिद्ध हो गई। भगवान के प्रति अपार सेवाभाव रखने व पुण्य-प्रताप के कारण ही आज पूरे देश में राजिम भक्तिन माता की अलग पहचान है और संपूर्ण क्षेत्र को ही राजिम कहा जाता है।
 
 
राजिम का मेला : राजिम का माघ पूर्णिमा का मेला संपूर्ण भारत में प्रसिद्ध है। छत्तीसगढ़ के लाखों श्रद्धालु इस मेले में जुटते हैं। माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक पंद्रह दिनों का मेला लगता है। इसे राजिम कुंभ मेला भी कहते हैं। महानदी, पैरी और सोढुर नदी के तट पर लगने वाले इस मेले में मुख्य आकर्षण का केंद्र संगम पर स्थित कुलेश्वर महादेव का मंदिर है। हालांकि अब इस मेले को राजिम माघी पुन्नी मेला कहा जाता है।
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

भारतेन्दु हरिश्चंद्र : एक लेखक जो 7 दिन 7 रंगों के कागज पर लिखता था...