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पुराणों में क्या लिखा है कश्मीर की भविष्यवाणी के बारे में?

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WD Feature Desk

, गुरुवार, 1 मई 2025 (19:12 IST)
भारत का राज्य कश्मीर कभी हिंदू बहुल हुआ करता था। उसमें भी यहां पर पंडितों की संख्या अधिक थी। इस्लाम के आने के बाद यहां पर जो नरसंहार हुआ उसके चलते यहां पर लाखों हिंदू या तो मुसलमान बन गए या यहां से पलायन कर गए। कश्मीर में जो मुसलमान है उन सभी के पूर्वज हिंदू ही थे परंतु अब वक्त बदल गया है। 
 
''ज्यों-ज्यों घोर कलयुग आता जाएगा त्यों-त्यों सौराष्ट्र, अवंति, अधीर, शूर, अर्बुद और मालव देश के ब्राह्मणगण संस्कारशून्य हो जाएंगे तथा राजा लोग भी शूद्रतुल्य हो जाएंगे।''....'अपनी तुच्छ बुद्धि को ही शाश्वत समझकर कुछ मूर्ख ईश्वर की तथा धर्मग्रंथों की प्रामाणिकता मांगने का दुस्साहस करेंगे इसका अर्थ है कि उनके पाप जोर मार रहे हैं।''
 
यहां शूद्र का मतलब उस आचरण से है, जो वेद विरुद्ध है। मांस, मदिरा और संभोगादि प्रवृत्ति में ही सदा रत रहने वाले राक्षसधर्मी को शूद्र कहा गया है। जो ब्रह्म को मानने वाले हैं वही ब्राह्मण है। आज की जनता ब्रह्म को छोड़कर सभी को पूजने लगी है।
 
जब सभी वेदों को छोड़कर संस्कारशून्य हो जाएंगे तब....''सिंधुतट, चंद्रभाग का तटवर्ती प्रदेश, कौन्तीपुरी और कश्मीर मंडल पर प्राय: शूद्रों का संस्कार ब्रह्मतेज से हीन नाममा‍त्र के द्विजों का और म्लेच्छों का राज होगा। सबके सब राजा (राजनेता) आचार-विचार में म्लेच्छप्राय होंगे। वे सब एक ही समय में भिन्न-भिन्न प्रांतों में राज करेंगे।''
 
''ये सबके सब परले सिरे के झूठे, अधार्मिक और स्वल्प दान करने वाले होंगे। छोटी बातों को लेकर ही ये क्रोध के मारे आग-बबूला हो जाएंगे।''
 
''ये दुष्ट लोग स्त्री, बच्चों, गौओं और ब्राह्मणों को मारने में भी नहीं हिचकेंगे। दूसरे की स्त्री और धन हथिया लेने में ये सदा उत्सुक रहेंगे। न तो इन्हें बढ़ते देर लगेगी और न घटते। इनकी शक्ति और आयु थोड़ी होगी। राजा के वेश में ये म्लेच्‍छ ही होंगे।''
 
भविष्योत्तर पुराण अनुसार ब्रह्माजी ने कहा- हे नारद! भयंकर कलियुग के आने पर मनुष्य का आचरण दुष्ट हो जाएगा और योगी भी दुष्ट चित्त वाले होंगे। संसार में परस्पर विरोध फैल जाएगा। द्विज (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य) दुष्ट कर्म करने वाले होंगे और विशेषकर राजाओं में चरित्रहीनता आ जाएगी। देश-देश और गांव-गांव में कष्ट बढ़ जाएंगे। संतजन दुःखी होंगे। अपने धर्म को छोड़कर लोग दूसरे धर्म का आश्रय लेंगे। देवताओं का देवत्व भी नष्ट हो जाएगा और उनका आशीर्वाद भी नहीं रहेगा। मनुष्यों की बुद्धि धर्म से विपरीत हो जाएगी और पृथ्वी पर म्लेच्छों के राज्य का विस्तार हो जाएगा। भविष्य में इन सभी का नाश होगा।
 
जब परस्पर विरोध होगा और औरंगजेब का राज्य होगा, तब विक्रम सम्वत् १७३८ का समय होगा। उस समय अक्षर ब्रह्म से भी परे सच्चिदानन्द परब्रह्म की शक्ति भारतवर्ष में इन्द्रावती आत्मा के अन्दर विजयाभिनन्द बुद्ध निष्कलंक स्वरूप में प्रकट होगी। वह चित्रकूट के रमणीय वन के क्षेत्र (पद्मावतीपुरी पन्ना) में प्रकट होंगे। वे वर्णाश्रम धर्म (निजानन्द) की रक्षा तथा मंदिरों की स्थापना कर संसार को प्रसन्न करेंगे। वे सबकी आत्मा, विश्व ज्योति पुराण पुरुष पुरुषोत्तम हैं। म्लेच्छों का नाश करने वाले बुद्ध ही होंगे और श्री विजयाभिनन्द नाम से संसार में प्रसिद्ध होंगे। (उ.ख.अ. ७२ ब्रह्म प्र.)
 
वह परब्रह्म पुरुष निष्कलंक दिव्य घोड़े पर (श्री इन्द्रावती जी की आत्मा पर) बैठकर, निज बुद्धि की ज्ञान रूपी तलवार से इश्क बन्दगी रूपी कवच और सत्य रूपी ढाल से युक्त होकर, अज्ञान रूपी म्लेच्छों के अहंकार को मारकर सबको जागृत बुद्धि का ज्ञान देकर अखण्ड करेंगे। (प्र. ३ ब. २६ श्लोक १)
 
-भागवत पुराण (अध्याय 'कलयुग की वंशावली' से अंश)
-(भविष्य पुराण पर्व 3, खंड 3, अध्याय 1, श्लोक 25, 26, 27). 

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