1950 में चयनित नगर पालिका का कार्यकाल 3 वर्ष का था, जो 1953 में समाप्त हो गया था, परंतु नए चुनाव होने तक के लिए पालिका परिषद का कार्यकाल बढ़ाया गया था। मध्यभारत की सभी नगर पालिकाओं के लिए 'मध्यभारत नगर पालिका विधान 1954' स्वीकृत किया गया था, जो 26 जनवरी 1954 से प्रभावशील हो गया था। नए विधान के कारण पालिका चुनाव में कुछ विलंब हुआ था।
नगर की जनता 1955 में बढ़ती जनसंख्या के कारण नगर सीमा में और वार्डों में वृद्धि की मांग कर रही थी। शासन द्वारा इस मांग पर गंभीरता से विचार किया गया ताकि जनता के द्वारा चुने प्रतिनिधियों की संख्या में इजाफा किया जा सके।
नगर पालिका की दूसरे चुनाव के मतदान की तिथि 3 मई 1955 के दिन मंगलवार था। गर्मी का मौसम होने से मतदान की गति भी धीमी थी। इस माह में विवाह एवं सामाजिक व पारिवारिक शुभ कार्य अधिक थे। सरकारी ऑफिस यथावत चालू थे।
नगर पालिका 40 वार्डों में विभाजित थी जिसके चुनाव होने थे। इस चुनाव में कांग्रेस, जो कि अपने पैर मजबूती से जमा चुकी थी, के विरुद्ध नागरिक मोर्चा जो हाल ही में गठित हुआ था, चुनाव मैदान में था। कम्युनिस्ट नेता होमी दाजी द्वारा गठित नागरिक मोर्चे में कम्युनिस्ट, हिन्दू महासभा और प्रजा समाजवादी शामिल थे। जनसंघ इस मोर्चे में शामिल नहीं हुआ था और उसने पृथक ही चुनाव लड़ा था। नागरिक मोर्चे ने जनसंघ से शामिल होने का प्रस्ताव दिया था जिसे स्थानीय नेताओं ने अस्वीकार कर दिया था।
40 वार्डों में मतदाताओं की संख्या 1 लाख 24 हजार 375 थी। चुनाव मैदान में सभी दलों के 40 स्थानों पर 113 उम्मीदवार अपना भाग्य आजमा रहे थे। इस चुनाव में कांग्रेस के 3 उम्मीदवार गंगाराम मास्टर, लक्ष्मण सिंह चौहान एवं रामेश्वर सिंह कुशवाह निर्विरोध निर्वाचित हुए थे।
कांग्रेस ने सभी 40 स्थानों पर उम्मीदवार खड़े किए थे और उसके 30 उम्मीदवार विजयी रहे थे। नागरिक मोर्चा द्वारा 30 उम्मीदवारों में से 6 जनसंघ के, 24 में से 1 एवं निर्दलीय 3 उम्मीदवार विजयी रहे थे। कांग्रेस के माधव खुटाल 794 मतों से विजयी रहे, जो सर्वाधिक मतों से विजयी होने का रिकॉर्ड था। सबसे कम मतों से विजयी होने का रिकॉर्ड नागरिक मोर्चे के नारायण सिंह अलबेला के नाम रहा, जो मात्र 17 मतों से विजयी रहे थे। नरेन्द्र पाटोदी, सरदार शेरसिंह, गोवर्धनलाल ओझा, सुरेश सेठ और उत्सवचंद पोरवाल चुनाव में पराजित हो गए थे।
विजय प्राप्त करने वालों में प्रमुख बालकृष्ण गोहर, निर्मला रानी पोतदार, चांदमल गुप्ता, कन्हैयालाल यादव, खेमराज जोशी, भानुदास शाह के अलावा नगर के कई प्रमुख नेता रहे थे।
मतदान में मतपेटियों की 1950 में अलग-अलग रंगों वाली व्यवस्था भी इस वर्ष थी। कुल मतदान करीब 68 प्रतिशत हुआ था। कांग्रेस को 47, जनसंघ को करीब 13 प्रतिशत और नागरिक मोर्चा को 31 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे। इस चुनाव में यह जाहिर हो गया था कि अब अगले चुनावों में कांग्रेस की राह आसान नहीं है और उसे कड़ी टक्कर देने वाले दल अब तैयार हो गए हैं।
इस तरह इंदौर नगर पालिका के दूसरे चुनाव संपन्न हुए थे।