क्या होली की मस्ती में भांग वाली ठंडाई पीना है सेफ? कितनी मात्रा में पीने से नहीं चढ़ता नशा?
क्यों है होली पर भांग इतनी मशहूर, जानिए भांग के नशे का असर और बचाव के तरीके
how to deal with bhang hangover: होली का नाम लेते ही दिमाग में रंग, गुलाल, गुजिया और ठंडाई का ख्याल आता है। लेकिन एक और चीज है जो होली के साथ खासतौर पर जुड़ी हुई है, और वो है भांग। होली पर भांग का सेवन करना कई जगहों पर परंपरा बन चुका है। भांग को ठंडाई या लस्सी में मिलाकर पिया जाता है और इसका असर सीधा दिमाग पर होता है। यह न केवल नशे का अनुभव कराती है, बल्कि कई लोग इसे होली की मस्ती का हिस्सा मानते हैं।
क्यों होती है होली पर भांग इतनी मशहूर?
भांग का सेवन होली पर करने का एक बड़ा कारण इसका सांस्कृतिक महत्व है। भांग को भगवान शिव का प्रिय पदार्थ माना जाता है। कहा जाता है कि महादेव खुद भांग का सेवन करते थे, जिससे उनके भक्त भी इसे उत्सव के रूप में अपनाते हैं। इसके अलावा, मथुरा, वृंदावन और उत्तर भारत के कई हिस्सों में होली पर भांग पीना एक परंपरा बन गई है। भांग का उपयोग ठंडाई में मिलाकर किया जाता है, जिससे उसका नशा धीरे-धीरे चढ़ता है। कुछ लोग इसे मिठाइयों में भी मिलाते हैं। भांग का सेवन एक विशेष वातावरण में होता है, जहां लोग नाचते-गाते और मस्ती में झूमते नजर आते हैं।
कितने ग्लास भांग पीने से नहीं होता नशा?
यह सवाल कई लोगों के मन में रहता है कि आखिर कितनी मात्रा में भांग पीने से नशा नहीं होता। भांग का नशा व्यक्ति की सहनशक्ति और शारीरिक क्षमता पर निर्भर करता है।
1 ग्लास ठंडाई: यदि भांग की मात्रा बहुत कम हो, तो नशा न के बराबर होता है।
2-3 ग्लास ठंडाई: हल्का नशा महसूस होता है, लेकिन व्यक्ति सामान्य रूप से बातचीत कर सकता है।
4-5 ग्लास ठंडाई: यहां नशा बढ़ जाता है, और व्यक्ति की सोचने-समझने की शक्ति धीमी पड़ने लगती है।
6 ग्लास या अधिक: इस स्थिति में व्यक्ति का संतुलन बिगड़ जाता है और भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
नोट: यह ध्यान रखना जरूरी है कि हर व्यक्ति की शारीरिक क्षमता अलग होती है, इसलिए कुछ लोग कम मात्रा में भी नशा महसूस कर सकते हैं। हालांकि ये गिलास पर पूरी तरह निर्भर नहीं करता क्यूंकि, जितनी ज्यादा भांग की मात्रा, ठंडाई या लस्सी में मिलाई जाएगी, उतनी ज्यादा नशा ओने की संभावना होती है।
भांग का नशा कब और कितनी देर तक रहता है?
भांग का नशा आमतौर पर सेवन के 30 मिनट से 1 घंटे के भीतर महसूस होना शुरू हो जाता है। इसका असर शरीर और मस्तिष्क पर धीरे-धीरे होता है।
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अवधि: भांग का नशा कम से कम 6 से 8 घंटे तक रहता है।
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पीने के लगभग 2-3 घंटे बाद नशा अपने चरम पर होता है।
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धीरे-धीरे नशा कम होता है और व्यक्ति सामान्य स्थिति में आ जाता है।
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नींद और आराम: नशा कम करने के लिए पर्याप्त नींद और ज्यादा से ज्यादा पानी पीना फायदेमंद होता है।
भांग का नशा कम करने के उपाय
अगर किसी को भांग का नशा ज्यादा चढ़ जाए तो उसे कम करने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं:
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नींबू पानी: नींबू में मौजूद एसिड भांग के नशे को कम करने में मदद करता है।
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दही और काली मिर्च: दही में काली मिर्च मिलाकर देने से नशा हल्का होता है।
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ताजे पानी का सेवन: ज्यादा से ज्यादा पानी पिलाने से शरीर से भांग का असर कम हो सकता है।
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आराम और नींद: व्यक्ति को आराम करने दें और पर्याप्त नींद लेने दें।
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