होली पर सुबह 10.46 से रात्रि 8.46 तक करीब 10 घंटे भद्रा रहेगी। इस दौरान पूजन आदि शुभ कार्य निषेध माने जाते हैं।
फाल्गुन मास की पूर्णिमा पर 20 मार्च को होलिका का पूजन होगा। इस बार होली पर सुबह 10.46 से रात्रि 8.46 तक करीब 10 घंटे भद्रा रहेगी। शास्त्रीय मान्यता में भद्रा के दौरान पूजन आदि शुभ कार्य निषेध माने गए हैं।
लेकिन मुहूर्त चिंतामणि के अनुसार यदि भद्रा में पूजन काल के समय उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा तथा उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में से कोई भी एक नक्षत्र हो तो भद्रा का दोष नहीं लगता है। होली पर गोधूलि बेला में पूजन के समय उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र की साक्षी रहेगी। इस कारण भद्रा का दोष नहीं लगेगा। महिलाएं संध्या काल में होलिका पूजन कर सकती हैं।
भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार फाल्गुन मास में प्रमुख त्योहार पर आने वाली भद्रा का वास मृत्यु लोक में रहता है। चंद्र राशि के अनुसार भी भद्रा को देखें तो सिंह राशि के चंद्रमा में भी भद्रा का वास पृथ्वी पर बताया गया है। भूलोक पर रहने वाली भद्रा में शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं। हालांकि शास्त्र में इसका हल बताया गया है।
मुहूर्त चिंतामणि के अनुसार भद्रा में पूजन के समय यदि उत्तराषाढ़ा, उत्तराफाल्गुनी तथा उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र हो तो तो शुभ कार्य करने में भद्रा का दोष नहीं लगता है। इस बार होली पर शाम 4.22 से उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र आरंभ हो रहा है, जो अगले दिन दोपहर 2 बजे तक रहेगा। इसलिए संध्या काल में होलिका पूजन किया जा सकता है। हालांकि पूर्णत: निर्दोष मुहूर्त की मान्यता रखने वाले श्रद्धालु रात्रि नौ बजे बाद पूजा करें। इस मुहूर्त में होलिका पूजन धन धान्य देने वाला रहेगा।