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भाई दूज 2025: होली के बाद मनाया जाता है भाई-बहन के प्यार का महापर्व, जानिए क्यों है विशेष

होली के बाद भाई दूज मनाने का कारण, जानिए इसकी पौराणिक कथा

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WD Feature Desk

, शनिवार, 15 मार्च 2025 (18:15 IST)
Holi Bhai Dooj 2025 date and significance : भारत में भाई-बहन के रिश्ते को सबसे पवित्र और अनमोल माना गया है। ऐसा ही एक विशेष पर्व है होली के बाद वाला भाई दूज, जो भाई-बहन के स्नेह और प्रेम को और भी गहरा करता है। होली भाई दूज मुख्य रूप से चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। 2025 में ये पर्व 16 मार्च को रहेगा। भाईदूज न केवल भाई-बहन के प्रेम को मजबूत करता है बल्कि रिश्तों में मधुरता और आपसी सहयोग का संदेश भी देता है। इस पर्व को भाई टीका, भाऊबीज, भाई बीज, भाई फोंटा यम द्वितीया और भ्रातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व होली के अगले दिन या दूसरे दिन मनाया जाता है और इसका महत्व रक्षाबंधन से किसी भी तरह कम नहीं है। वैसे भाई दूज का पर्व हर साल दो बार मनाया जाता है - एक बार होली के बाद और दूसरी बार दीवाली के बाद।
 
होली के बाद भाई दूज क्यों मनाई जाती है?
होली के दूसरे दिन मनाए जाने वाले इस भाई दूज का खास महत्व है। मान्यता है कि इस दिन यमराज अपनी बहन यमुनाजी से मिलने उनके घर गए थे। यमुनाजी ने अपने भाई का स्वागत किया और तिलक कर उन्हें भोजन कराया। यमराज ने प्रसन्न होकर वरदान दिया कि जो भाई इस दिन अपनी बहन के हाथ का तिलक और भोजन ग्रहण करेगा, उसे मृत्यु का भय नहीं रहेगा। तभी से यह परंपरा चली आ रही है कि भाई दूज के दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाकर लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।
 
भाई दूज का महत्व और परंपराएं
इस दिन भाई अपनी बहन के घर जाकर तिलक कराते हैं और मिठाई खाते हैं। बहनें भी अपने भाइयों की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं। इस दिन बहनों द्वारा भाइयों को स्नेहपूर्वक तिलक लगाना और मिठाई खिलाना मुख्य परंपरा है। बदले में भाई अपनी बहनों को उपहार और आशीर्वाद देते हैं।
  • स्नेह और सुरक्षा का प्रतीक: भाई दूज का पर्व भाई-बहन के प्रेम को और मजबूत करता है।
  • यमराज और यमुनाजी की कथा: इस पर्व का पौराणिक महत्व यमराज और यमुनाजी के संबंध से जुड़ा है।
  • सुख और समृद्धि की कामना: बहनें भाइयों की लंबी उम्र के लिए तिलक करती हैं।
  • रंगों के साथ रिश्तों का उत्सव: होली के बाद यह पर्व जीवन में खुशियों और रंगों का संचार करता है। 
कैसे मनाते हैं भाई दूज का पर्व?
भाई दूज के दिन बहनें विशेष पूजा करती हैं। सबसे पहले बहनें पूजा स्थल को स्वच्छ करती हैं और फिर भगवान यमराज और यमुनाजी की पूजा करती हैं। तिलक के लिए अक्षत, कुमकुम, चंदन और फूल का प्रयोग किया जाता है। भाई को तिलक लगाकर उसके दीर्घायु होने की प्रार्थना की जाती है। इसके बाद भाई को मिठाई खिलाई जाती है और साथ में आरती भी की जाती है।
 
भाई दूज पर विशेष पकवान और भोजन: भाई दूज के दिन विशेष रूप से पूरी, हलवा, पुआ और मिठाई बनाई जाती है। भाई का मुंह मीठा कराने के लिए तरह-तरह की मिठाइयां जैसे लड्डू, गुजिया और मालपुआ बनाई जाती हैं। 


अस्वीकरण (Disclaimer) : सेहत, ब्यूटी केयर, आयुर्वेद, योग, धर्म, ज्योतिष, वास्तु, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार जनरुचि को ध्यान में रखते हुए सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इससे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। 

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