Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

होली की 10 परंपराएं, उत्सव का मजा बढ़ाए

हमें फॉलो करें होली की 10 परंपराएं, उत्सव का मजा बढ़ाए

अनिरुद्ध जोशी

, सोमवार, 9 मार्च 2020 (13:52 IST)
होली के दिन अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग परंपराएं प्रचलित हैं, लेकिन सभी जगह कुछ परंपराएं समान हैं। हालांकि इनको करने के तरीके अलग-अलग हो सकते हैं। आओ जानते हैं ऐसी ही 10 समान परंपराओं के बारे में।
 
 
1.डंडा गाड़ना : होली के कुछ दिन पहले ही कई राज्यों में होली का डंडा सार्वजनिक स्थल या चौराहों पर गाड़ दिया जाता है। कई जगह पर यह माघ पूर्णिमा को ही गाड़ दिया जाता है। यह डंडा भक्त प्रहलाद का प्रतीक होता है। यह डंडा एक पौधा रहता है जिसे सेम का पौधा कहते हैं। इसके आसपास कंडे जमा दिए जाते हैं।

 
2. होलीका दहन : फाल्गुन मास की पूर्णिमा की रात्रि को होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन के पहले होली के डंडा को निकाल लिया जाता है। उसकी जगह लकड़ी का डंडा लगाया जाता है। फिर विधिवत रूप से होली की पूजा की जाती है और अंत में उसे जला दिया जाता है। होलिका में भरभोलिए जलाने की भी परंपरा है।

भरभोलिए गाय के गोबर से बने ऐसे उपले होते हैं जिनके बीच में छेद होता है। इस छेद में मूंज की रस्सी डाल कर माला बनाई जाती है। एक माला में सात भरभोलिए होते हैं। होली में आग लगाने से पहले इस माला को भाइयों के सिर के ऊपर से सात बार घूमा कर फेंक दिया जाता है। रात को होलिका दहन के समय यह माला होलिका के साथ जला दी जाती है। इसका यह आशय है कि होली के साथ भाइयों पर लगी बुरी नज़र भी जल जाए।
 
 
3.होली में अनाज : घरों में बने पकवानों का यहां भोग लगाया जाता है। इस आग में नई फसल की गेहूं की बालियों और चने के होले को भी भूना जाता है।
 
4.होली के गीत : गांवों में लोग देर रात तक होली के गीत गाते हैं तथा नाचते हैं। स्थानीय भाषाओं में बने होली के गीतों में कुछ ऐसे गीत हैं जो सदियों से गाए जा रहे हैं। 
 
5. भांग का मजा : होलिका दहन से रंगपंचमी तक भांग, ठंडाई आदि पीने का प्रचलन हैं। लोग मजे से भांग छानते हैं और रंगों को उत्सव मनाते हैं। इस दिन फाग गाते हैं और रंगारंग कार्यक्रम किए जाते हैं। होली गीत के कार्यक्रम के दौरान ठंडाई और मिठाई का वितरण किया जाता है।
 
6. धुलेडी : होलिका दहन के बाद धुलेंडी अर्थात धूलिवंदन मनाया जाता है। इस दिन लोग एक-दूसरे से गले मिलते हैं। मिठाइयां बांटते हैं। भांग का सेवन करते हैं। कुछ राज्यों में इस दिन उन लोगों के घर जाते हैं जहां गमी हो गई है। उन सदस्यों पर होली का रंग प्रतिकात्म रूप से डालकर कुछ देर वहां बैठा जाता है। कहते हैं कि किसी के मरने के बाद कोईसा भी पहला त्योहार नहीं मनाते हैं। इस दिन लोग रंगों से खेलते हैं। सुबह होते ही सब अपने मित्रों और रिश्तेदारों से मिलने निकल पड़ते हैं। 
 
7.होली के पकवान : होली के दिन घरों में खीर, पूरी और पूड़े आदि विभिन्न व्यंजन (खाद्य पदार्थ) पकाए जाते हैं। इस अवसर पर अनेक मिठाइयां बनाई जाती हैं जिनमें गुझियों का स्थान अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। बेसन के सेव और दहीबड़े भी सामान्य रूप से उत्तर प्रदेश में रहने वाले हर परिवार में बनाए व खिलाए जाते हैं। कांजी, भांग और ठंडाई इस पर्व के विशेष पेय होते हैं। पर ये कुछ ही लोगों को भाते हैं।
 
 
8. रंग पंचमी का रंग : होलिका दहन के ठीक पांचवें दिन रंग पंचमी मनाई जाती है। इस दिन प्रत्येक व्यक्ति रंगों से सराबोर हो जाता है। शाम को स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद गिल्की के पकोड़े का मजा लिया जाता है। 
9. पशुओं की पूजा : होली के कुछ दिन पहले ही गांव में पशुओं के शरीर पर रंग बिरेंगे टेटू बनाए जाते हैं। उनके सिंगों पर मोर पंख, गले में घुंघरू बांधे जाते हैं।
 
10.गान और नृत्य : आदिवासी क्षेत्रों में हाट बाजार लगते हैं और युवक युवतियां मिलकर एक साथ ढोर की थाप और बांसुरी की धुन पर नृत्य करते हैं। इनमें से कई तो ताड़ी पीकर होली का मजा लेते हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

होली, 9 मार्च 2020 : कैसे करें होलिका दहन की पूजा, यहां जानिए विधि, मुहूर्त और कथा