भारतीय पंचांग और ज्योतिष के अनुसार फाल्गुन माह की पूर्णिमा यानी होली के अगले दिन से चैत्र शुदी प्रतिपदा की शुरुआत होती है और इसी दिन से नववर्ष का भी आरंभ माना जाता है। इसलिए होली पर्व नवसंवत और नववर्ष के आरंभ का प्रतीक भी है। इसी दिन धुलेंडी का त्योहार भी होता। आओ जानते हैं कि धुलेंडी पर किस देवी या देवताओं को कौनसा रंग अर्पित किया जाता है।
1. धार्मिक मान्यता के अनुसार होलिका का दहन होली के दिन किया जाता है और दूसरे दिन धुलेंडी पर रंग खेला जाता है। धुलेंडी पर रंग खेलने की शुरुआत देवी-देवताओं को रंग लगाकर की जाती है। इसके लिए सभी देवी-देवताओं का एक प्रिय रंग होता है और उस रंग की वस्तुएं उनको समर्पित करने से शुभता मिलती है, उनकी कृपा प्राप्त होती है, जीवन में समृद्धि मिलती है, खुशहाली आती है और धन-धान्य से घर भरे हुए होते हैं।
2. सभी देवताओं के अपने प्रिय रंग होते हैं इसलिए होली के दिन उनके प्रिय रंगों से उनसे होली खेलकर होली के पर्व का प्रारंभ करना चाहिए।
3. श्रीकृष्ण और भगवान विष्णु को पीला रंग प्रिय है। इसलिए श्रीकृष्ण को पीतांबर कहा जाता है और पीले फूल, पीले वस्त्र से वह सजे हुए रहते हैं। होली के दिन भगवान श्रीकृष्ण को पीला रंग समर्पित करना चाहिए।
4. देवी लक्ष्मी, हनुमानजी और भेरू महाराज को लाल रंग अति प्रिय है। इसलिए इन तीनों देवी-देवताओं को होली के अवसर पर लाल रंग अर्पित किया जाना चाहिए।
5. मां बगुलामुखी को पीला रंग पसंद है इसलिए उनको होली के अवसर पर पीला रंग समर्पित करना चाहिए।
6. सूर्यदेव को लाल रंग पसंद है इसलिए उनको लाल गुलाल समर्पित करना चाहिए।
7. भगवान शनिदेव को काला रंग पसंद है इसलिए उनको काला रंग समर्पित करना चाहिए।
8. धुलेंडी के बाद रंगपंचमी का दिन देवी-देवताओं को समर्पित माना गया है। मान्यता है कि इस दिन देवी देवता गीले रंगों से होली खेलते हैं। रंग पंचमी के दिन लोग रंग और गुलाल को जमकर उड़ाते हैं। माना जाता है कि देवता प्रभावित होते हैं और भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। हवा में उड़ता गुलाल तमोगुण और रजोगुण को समाप्त करता है और सतोगुण में वृद्धि करता है। इससे वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।