न्दू पंचांग के अनुसार, हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा की रात्रि को होलिका दहन किया जाता है। इसके एक दिन बाद धुलेंडी का त्योहार मनाया जाता है।
मुहूर्त : इस बार होलिका दहन 9 मार्च 2020 रात्रि को किया जाएगा। 9 मार्च को सुबह 3 बजकर 3 मिनट से पूर्णिमा तिथि प्रारंभ होगी जो रात 11 बजकर 17 मिनट तक रहेगी। शाम 6 बजकर 26 मिनट से रात 8 बजकर 52 मिनट तक अच्छा मुहूर्त है। हालांकि प्रदोष काल से रात 11 बजकर 17 मिनट तक कभी भी होलिका दहन किया जा सकता है।
पूजन सामग्री और विधि : एक लोटा जल, गोबर से बनीं होलिका और प्रह्लाद की प्रतिमाएं रखें। साथ ही 5 माला, रोली, गंध, पुष्प, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, गुलाल, नारियल, पांच प्रकार के अनाज, गुजिया, मिठाई और फल एकत्रित कर लें। एक माला पितरों की, दूसरी हनुमानजी की, तीसरी शीतला माता और चौथी घर परिवार के नाम की होती है।
पहले सभी सदस्यों को तिलक लगाएं। फिर होली के चारों और हाथ जोड़कर तीन या सात बार परिक्रमा करते हुए सूत के धागे को लपेंटे। इसके बाद सभी सामग्री को एक एक करके अर्पित करें। अंत में होलिका को अग्नि अर्पित करें। अगले दिन सुबह उठकर नित्यकर्म से निवृत्त होकर पितरों का तर्पण करें। फिर घर के देवी-देवताओं को अबीर-गुलाल अर्पित करें। इसके बाद घर के सभी सदस्यों के साथ होली खेलें।