होलिका दहन कार्यक्रम करते समय पूजन करते समय यह मंत्र बोलना न भूलें।
'ॐ होलिकायै नम:' बोलकर गंध-अक्षत इत्यादि चढ़ाएं।
'ॐ प्रहलादाय नम:' बोलकर गंधाक्षत करें।
'ॐ नृसिंहाय नम:' बोलकर गंधाक्षत करें।
इसके बाद सूत से 7 बार होलिका पर लपेट दें। अपनी मनोकामना मन ही मन बोलें। होलिका की 3 परिक्रमा कर समस्त पूजन सामग्री पास ही रखकर जल चढ़ाकर वापस आएं।
कहा जाता है कि इस पूजन के पश्चात की जाने वाली प्रार्थना जल्द ही पूर्ण होती है। साधारणतया लकड़ी कई दिनों तक जलती है। यह आवश्यक नहीं है। यदि होलिका जल्दी ठंडी होती है तो यह अच्छा माना जाता है।
होली पर कई सारे उपाय और मंत्र आजमाए जाते हैं। लेकिन सही मायनों में मात्र एक ही मंत्र है जिसके जप से होली पर पूजा की जाती है और इसी शुभ मंत्र से सुख, समृद्धि, आयरोग्य और सफलता के द्वार खोले जा सकते हैं।
अहकूटा भयत्रस्तै:कृता त्वं होलि बालिशै: अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम:
इस मंत्र का उच्चारण एक माला, तीन माला या फिर पांच माला विषम संख्या के रूप में करना चाहिए।