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क्या है होली से गुजिया, बृज और श्रीकृष्ण का संबंध, जानिए रोचक इतिहास

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WD Feature Desk

, मंगलवार, 4 मार्च 2025 (16:21 IST)
Origin of Gujiya : होली भारत के सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है। रंगों के इस त्योहार में गुजिया का विशेष महत्व है। गुजिया न केवल एक स्वादिष्ट मिठाई है, बल्कि यह होली के त्योहार का एक अभिन्न अंग भी है। गुजिया का इतिहास काफी पुराना है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि गुजिया की शुरुआत 13वीं शताब्दी में हुई थी, जबकि अन्य का मानना है कि यह 17वीं शताब्दी में अस्तित्व में आई। लेकिन एक मान्यता के अनुसार गुजिया का संबंध बृज और श्रीकृष्ण से है। आइये होली के मौके पर जानते हैं भगवान कृष्ण और होली के पारंपरिक व्यंजन गुजिया का अनोखा इतिहास।

बृज और गुजिया का क्या है नाता
ऐसी मान्यता है कि फाल्गुन मास की पूर्णिमा पर सबसे पहले ब्रज में ठाकुर जी यानी भगवान श्री कृष्ण को इस मिठाई का भोग लगाया जाता है। होली के त्योहार में इसे विशेष रूप से तैयार किया जाता है। मान्यता के अनुसार गुजिया का चलन सबसे पहले ब्रज से ही आया और ब्रज में ही होली के दिन पहली बार गुजिया का भोग अर्पित किया गया था, तब से ही इसे होली की मुख्य मिठाईयों में से एक माना जाने लगा। इसलिए होली के दिन लड्डू गोपाल को गुजिया का भोग जरूर अर्पित करना चाहिए।

बृज में होली का त्योहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। यहां गुजिया को भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित किया जाता है और इसे प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण को गुजिया बहुत पसंद थी, इसलिए इसे होली पर विशेष रूप से बनाया जाता है।

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होली पर गुजिया का महत्व
•          मिठास का प्रतीक: गुजिया मिठास का प्रतीक है, जो होली के त्योहार में रिश्तों में मिठास घोलने का संदेश देता है।
•          एकजुटता का प्रतीक: पहले गांव की औरतें एक साथ मिलकर गुजिया बनाती थीं, जो एकजुटता का प्रतीक है।
•          सांस्कृतिक महत्व: गुजिया भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है और इसे पीढ़ी दर पीढ़ी बनाया जाता है।

अस्वीकरण (Disclaimer) : सेहत, ब्यूटी केयर, आयुर्वेद, योग, धर्म, ज्योतिष, वास्तु, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार जनरुचि को ध्यान में रखते हुए सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इससे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
 

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