होली स्पेशल : भारत के इस राज्य में मनाया जाता है होला मोहल्ला, जानिए 2025 में कब और कैसे मनेगा ये अनोखा त्योहार
आनंदपुर साहिब में 6 दिनों तक चलने वाले इस भव्य पर्व की क्या है खासियत?
Hola mohalla 2025 festival in punjab : जब भी होली की बात आती है, तो हमारे मन में रंगों की बौछार, गुलाल, अबीर और मिठाइयों की छवि उभरती है। लेकिन भारत जैसे विविधता से भरे देश में, हर पर्व की अपनी एक अलग छटा होती है। पंजाब में मनाया जाने वाला होला मोहल्ला इसी विविधता का एक अनोखा उदाहरण है। यह पर्व पारंपरिक होली से बिलकुल अलग होता है और खासतौर पर सिख समुदाय के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। होला मोहल्ला न केवल वीरता और शौर्य का प्रतीक है, बल्कि यह सिखों की बहादुरी, आत्मरक्षा और सांस्कृतिक धरोहर को भी दर्शाता है। यह पर्व पंजाब के आनंदपुर साहिब में हर साल धूमधाम से मनाया जाता है और इसमें दूर-दूर से श्रद्धालु व पर्यटक शामिल होते हैं। होली के अवसर पर, यह पर्व और भी भव्य होने की उम्मीद है, तो आइए जानते हैं होला मोहल्ला के बारे में विस्तार से।
क्या है होला मोहल्ला का मतलब : होला मोहल्ला की शुरुआत सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी ने 1701 ईस्वी के लगभग की थी। उस समय सिख समुदाय को अपने आत्मरक्षा कौशल को मजबूत करने की आवश्यकता थी। इसी उद्देश्य से गुरु गोविंद सिंह जी ने होली के एक दिन बाद होला मोहल्ला मनाने की परंपरा शुरू की, जिसमें सिख योद्धाओं को युद्धकला, घुड़सवारी और तलवारबाजी का प्रदर्शन करने का अवसर मिलता था।
"होला" शब्द संस्कृत के 'होलिका' से लिया गया है, जबकि "मोहल्ला" एक अरबी शब्द है, जिसका अर्थ होता है 'संगठन' या 'सैन्य जुलूस'। इसका अर्थ यह हुआ कि होला मोहल्ला एक प्रकार का सैन्य अभ्यास और वीरता प्रदर्शन का पर्व है, जिसमें सिख योद्धा अपनी पारंपरिक शस्त्र विद्या का प्रदर्शन करते हैं।
होला मोहल्ला कैसे मनाया जाता है?
होला मोहल्ला में आम होली की तरह गुलाल और रंगों की जगह तलवारबाजी, घुड़सवारी, मार्शल आर्ट, गतका और शस्त्र प्रदर्शन देखने को मिलता है। यह पर्व पूरे छह दिनों तक चलता है और आनंदपुर साहिब में इस दौरान भव्य आयोजन किए जाते हैं।
सैन्य प्रदर्शन और युद्ध कौशल: इस त्योहार की सबसे खास बात सिख योद्धाओं द्वारा किया गया शौर्य प्रदर्शन होता है। यह लोग हाथों में तलवारें लेकर युद्ध कलाओं का प्रदर्शन करते हैं और घुड़सवारी के हैरतअंगेज करतब दिखाते हैं। गतका नामक पारंपरिक मार्शल आर्ट का भी भव्य प्रदर्शन किया जाता है। यह प्रतियोगिताएं इतनी मनोरंजक होती हैं कि इन्हें देखने दुनियाभर से लोग आते हैं।
विशाल नगर कीर्तन और शोभा यात्रा: होला मोहल्ला के दौरान एक विशाल शोभा यात्रा निकाली जाती है, जिसमें सिख योद्धा परंपरागत वस्त्र धारण कर गुरु ग्रंथ साहिब की पालकी के साथ चलते हैं। यह यात्रा गुरुद्वारा आनंदपुर साहिब से शुरू होती है और पूरे शहर में घूमती है।
विशाल लंगर और भंडारे: सिख धर्म में लंगर सेवा का विशेष महत्व है, और होला मोहल्ला के अवसर पर विशाल भंडारे आयोजित किए जाते हैं। इन भंडारों में हलवा, पूरी, गुजिया, मालपुआ और तरह-तरह के पारंपरिक व्यंजन वितरित किए जाते हैं। सिख श्रद्धालु इस सेवा में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं और हजारों लोगों को मुफ्त भोजन परोसा जाता है।
आध्यात्मिक और धार्मिक कार्यक्रम: होला मोहल्ला केवल एक युद्ध कौशल का पर्व नहीं है, बल्कि धार्मिक प्रवचनों, कीर्तन, भजन-गायन और गुरबाणी के पाठ से भी जुड़ा हुआ है। इस अवसर पर आनंदपुर साहिब गुरुद्वारा में विशेष पूजा और अरदास की जाती है।
होला मोहल्ला 2025 में कब मनाया जाएगा : होला मोहल्ला 2025 में शुक्रवार, 14 मार्च को मनाया जाएगा। यह वर्ष 2025 का 73वां दिन होगा। इस दिन के बाद वर्ष खत्म होने में 292 दिन शेष रहेंगे। जहां होली रंगों का त्योहार है, वहीं होला मोहल्ला वीरता, साहस और आध्यात्मिकता का संगम है। इस पर्व में न केवल धार्मिक महत्व है, बल्कि यह हमें आत्मरक्षा, सामाजिक सेवा और भाईचारे का भी संदेश देता है। होला मोहल्ला 2025 में अगर आप इस अद्भुत अनुभव का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो आनंदपुर साहिब जरूर जाएं और इस ऐतिहासिक पर्व का आनंद उठाएं।
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