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यूपी के इस गांव से शुरुआत हुई थी होली की, आज भी है 5 हजार वर्ष पुराना मंदिर

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WD Feature Desk

, सोमवार, 3 मार्च 2025 (16:21 IST)
हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष के अंतिम माह फाल्गुन की पूर्णिमा को होली का त्योहार मनाया जाता है। कहते हैं कि यह सबसे प्राचीन उत्सव में से एक है।  इस दिन असुर हरिण्याकश्यप की बहन होलिका का दहन हुआ था। प्रहलाद बच गए थे। इसी की याद में होलिका दहन किया जाता है। यह होली का प्रथम दिन होता है। कहते हैं कि यह घटना यूपी के एक गांव में घटी थी जहां पर इसी घटना की याद में एक मंदिर बना हुआ है जिसे 5 हजार वर्ष पुराना मंदिर माना जा रहा है। 
 
कहते हैं कि होली की शुरुआत उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के ककेड़ी गांव से हुई थी। यह स्थान भगवान नरसिंह के मंदिर, प्रह्लाद घाट और हिरण्यकश्यप के महल के अवशेषों का साक्षी है। मान्यता है कि पहले हरदोई को हरिद्रोही कहा जाता था, जो हिरण्यकश्यप की राजधानी थी। हरदोई जिले के सांडी ब्लॉक के ककेड़ी गांव में स्थित नृसिंह भगवान का मंदिर 5000 वर्षों से भी अधिक प्राचीन माना जाता है। यहां के लोग भगवान नरसिंह की पूजा के साथ होली का शुभारंभ करते हैं।
 
कहते हैं कि सतयुग में हिरण्याकश्यप ने प्रहलाद की हत्या करने का बहुत प्रयास किया अंत में उसने उसे जलाकर मारने के लिए अपनी बहन होलिका की गोद में बैठाकर उसे मारने का प्रयास किया। होलिका को ब्रह्मा से मिला वरदान था कि वह किसी भी तरह की आग से नहीं जलेगी लेकिन होलिका जल गई और प्रहलाद बच गया। होलिका इसलिए जल गई क्योंकि उसका उद्येश्य किसी को जलाकर मारने का था। प्रहलाद के बचने की खुशी में वहां की जनता ने खुशी मनाते हुए एक दूसरे पर रंग और गुलाल लगाए। 
 
कहते हैं कि यह घटना होली के त्योहार की उत्पत्ति का कारण बनी थी। हरदोई के लोग प्रहलाद के बचने के बाद बहुत खुश हुए और उन्होंने एक-दूसरे को रंग और गुलाल लगाकर खुशी मनाई, तभी से होली का त्योहार मनाने की परंपरा शुरू हुई। होली की शुरुआत हरदोई से होने की बात धार्मिक ग्रंथों और हरदोई गजेटियर में भी उल्लेखित है। 

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।
 

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