Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

इन 5 कारणों से मनाते हैं होली के बाद रंग पंचमी, रंगपंचमी का महत्व और कहां-कहां है इसका प्रचलन

Advertiesment
हमें फॉलो करें इन 5 कारणों से मनाते हैं होली के बाद रंग पंचमी, रंगपंचमी का महत्व और कहां-कहां है इसका प्रचलन

WD Feature Desk

, शनिवार, 15 मार्च 2025 (12:19 IST)
क्यों मनाते हैं रंगपंचमी | Why celebrate Rangpanchami: पौराणिक मान्यता के अनुसार रंगों का यह उत्सव फाल्गुन पूर्णिमा से लेकर चैत्र मास की कृष्ण पंचमी तक चलता है। धुलेंडी यानी होली की तरह ही इस दिन दिन शोभा यात्राएं निकाली जाती है और लोग एक दूसरे पर रंग और अबीर डालते हैं। इसी दिन शाम को श्रीखंड और गिलकी के पकोड़े खाते हैं। आओ जानते हैं कि रंगपंचमी क्यों मनाते हैं क्या है इसके 5 कारण और यह खासकर देश के किन क्षेत्रों में मनाई जाती है। 
 
इन 5 कारणों से मनाते हैं होली के बाद रंग पंचमी:-
1. जब हिरण्याक्ष का वध हुआ और प्रहलाद को राज्य मिला इसके बाद जनता में हर्ष व्याप्त हो गया। इसी की खुशी में पांच दिनों तक उत्सव मनाया गया। तभी से यह परंपरा चली आ रही है।
 
2. कहते हैं कि इस दिन श्रीकृष्ण ने राधा पर रंग डाला था। इसी की याद में रंग पंचमी मनाई जाती है। 
 
3. यह भी कहा जाता है कि श्रीकृष्ण ने गोपियों के संग रासलीला रचाई थी और दूसरे दिन रंग खेलने का उत्सव मनाया था। 
 
4. कहते हैं कि जिस दिन राक्षसी पूतना का वध हुआ था उस दिन फाल्गुन पूर्णिमा थी। अत: बुराई का अंत हुआ और इस खुशी में समूचे नंदगांववासियों ने पांच दिनों तक खूब जमकर रंग खेला, नृत्य किया और जमकर उत्सव मनाया। तभी से होली और रंग पंचमी में रंग और भंग का समावेश होने लगा।
 
5. चैत्रमास की कृष्ण पक्ष की पंचमी को खेली जाने वाली रंगपंचमी देवी देवताओं को समर्पित होती है। जिस तरह दीपावली के बाद देव दिवाली आती है उसी तरह होली के बाद रंगंपचमी के दिन देव होली खेली जाती है। यानी देवता इस दिन रंग खेलते हैं। जब होलाष्टक के दौरान कामदेव को शिवजी ने भस्म कर दिया था तब देवताओं में उदासी छा गई थी। फिर शिवजी ने कामदेव को जीवित करने का आश्वासन दिया तो सभी ओर खुशियां छा गई और इसी के उपलक्ष्म में पंचमी के दिन देवताओं ने रंगोत्सव मनाया। पंचमी की तिथि नागदेव की तिथि है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन देवी-देवता भी पृथ्वी पर आ जाते हैं और वह मनुष्य के साथ गुलाल खेलते हैं।
webdunia
रंगपंचमी खेलने का महत्व:
1. मान्यता है कि रंगपंचमी पर पवित्र मन से पूजा पाठ करने से देवी देवता स्वयं अपने भक्तों को आशीर्वाद देने आते हैं और कुंडली के बड़े से बड़े दोष को इस दिन पूजा पाठ से दूर किया जा सकता है।
 
2. मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि, इस दिन हवा में रंग और अबीर उड़ाने से वातावरण में सकारात्मकता का संचार होता है जिसका प्रभाव व्यक्ति के मन मस्तिष्क और जीवन पर पड़ता है।
 
3. कहते हैं कि रंग पंचमी के दिन देवी देवताओं की पूजा करने और रंग का उत्सव मनाने से लोगों के बुरे कर्म और पाप आदि नष्ट हो जाते हैं।
 
4. यह भी कहते हैं कि यह सात्विक पूजा आराधना का दिन होता है। रंगपंचमी को धनदायक भी माना जाता है।
 
कहां-कहां है रंगपंचमी खेलने का प्रचलन:-
1. रंग पंचमी का त्योहार संपूर्ण देश में नहीं खेला जाता। यह खासकर मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में ही खेला जाता है।
 
2. उपरोक्त राज्य के सभी क्षेत्र में रंगपंचमी नहीं खेली जाती। मध्यप्रदेश में भी इंदौर, देवास, उज्जैन, ग्वालियर, भोपाल, सागर, सतना, रीवा जैसे शहरों भी ही इस उत्सव की धूम रहती है। छत्तीसगढ़ में रायपुर
 
3. उत्तर प्रदेश में बृजमंडल में ही रंगपंचमी खेली जाती है। इसी तरह गुजरात, राजस्थान, कर्नाटक और महाराष्ट्र में भी कुछ ही शहरों में ही इसका प्रचलन है, लेकिन उतना नहीं जितना की मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में देखा जाता है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

पापमोचनी एकादशी कब है, क्या है इसका महत्व?