जानें विश्व मधुमक्खी दिवस का इतिहास।
विश्व मधुमक्खी दिवस क्यों।
कब हुई विश्व मधुमक्खी दिवस की शुरुआत।
World Bee Day 2024 : पूरी दुनिया में विश्व मधुमक्खी दिवस 20 मई को मनाया जाता है। जानते हैं यहां विश्व मधुमक्खी दिवस का इतिहास:
इतिहास : पूरे विश्व में पहली बार विश्व मधुमक्खी दिवस 20 मई 2018 को मनाया गया था और तब से हर साल मनाया जा रहा है। एंटोन जानसा जिन्हें मधुमक्खी पालन में सबसे अग्रणी माना जाता है, उनके जन्म की याद में ही यह दिन मनाया जाता है।
आपको बता दें कि दिसंबर 2017 में संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राज्यों ने 20 मई को विश्व मधुमक्खी दिवस के रूप में घोषित करने के स्लोवेनिया के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।
मधुमक्खियों की जातियां : रिसर्च के अनुसार यह भी माना जाता रहा है कि मधुमक्खी चार तक गिनती जानती है। भारत में मधुमक्खियों की 4 जातियां पाई जाती हैं, 1. एपिस सेरना इंडिका, 2. एपिस फ्रलोरिया 3. एपिस डॉर्सट्टा, 4. एपिस ट्रैगोना। इसमें से सिर्फ एपिस सेरना ही एक ऐसी मधुमक्खी हैं, जिसे पाला जा सकता है तथा बाकी जाति की मधुमक्खियां पेड़ों के खोखलों, गुफा में सामान्यतः रहती हैं।
पुपे और शहद के कार्य : वैज्ञानिकों की मानें तो मधुमक्खियां हीटर या गर्मी पैदा करने वाली छत्ते को गर्म करने का काम करती हैं। वे जटिल सामाजिक संरचना को काबू में रखने का कार्य भी करती हैं तथा उनका उत्तराधिकारी और वयस्क होने पर कौन मधुमक्खी क्या काम करेगी यह भी निर्धारित करती हैं।
मधुमक्खियां जिस स्थान पर अपने अंडे देती हैं, इस जगह पर उनके बच्चे जिन्हें पुपे कहा जाता है, वे उस वक्त तक मोम की कोशिकाओं में लिपटे होते हैं जब तक कि वे बड़े ना हो जाएं। मधुमक्खियों से मिलने वाला शहद इम्यूनिटी बूस्टर के तौर पर काम करता है, इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट ह्रदय तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए लाभदायक है।
परंपरा : मधुमक्खी पालन स्लोवेनियाई परंपरा में एक ऐसी चीज है जो गहराई से निहित है और यह मधुमक्खी पालकों के मामले में अग्रणी यूरोपीय देशों में से एक है। एक तरह से यह समझा जा सकता हैं कि विश्व मधुमक्खी दिवस मनाने का उद्देश्य उनके पारिस्थितिकी तंत्र में मधुमक्खियों और अन्य परागणकों के सतत विकास में उनके योगदान और उनके संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है।
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