Highlights
* क्या है कॉफी का इतिहास।
* 01 अक्टूबर अंतरराष्ट्रीय कॉफी दिवस।
* अंतरराष्ट्रीय कॉफी दिवस का महत्व।
World Coffee Day 2024: हर साल 01 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय कॉफी दिवस या इंटरनेशनल कॉफी डे मनाया जाता है। वैसे तो कॉफी के कई लोग शौकीन होते हैं और पूरे दिन में कई-कई कॉफी भी पी जाते हैं। वर्तमान समय में कॉफी चलन अधिक बढ़ चला है, आज ऑफिसों में भी अधिकतर लोग कॉफी पीते हुए दिखते हैं, वे चाय को कम महत्व देकर कॉफी की तरफ आकर्षित हो रहे है, जिसकी वजह कॉफी से उन्हें अधिक ऊर्जा मिलती है, ऐसा माना जाता है, लेकिन दिनभर कॉफी पीने वाले लोग क्या यह जानते हैं कि कहां से आई कॉफी और इसका इतिहास क्या है?
आइए इस लेख में जानते हैं कॉफी का इतिहास...
कॉफी की इतिहास जानें: आपको बता दें कि कॉफी का उत्पादन लैटिन अमेरिका, सब सहारा अफ्रीका, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे गर्म इलाकों में अधिक होता है। यूरोप में 16वीं और 17वीं सदी में कॉफी लोकप्रिय हुई थी। कहा जाता है कि कॉफ़ी की खेती यमन के लोगों ने की थी। वे इसे 'कहवा' कहते थे। बाद में इसी शब्द से कॉफी और फिर कैफे शब्दों का जन्म हुआ। यह भी कहा जाता है कि यमन में सूफी संत ईश्वर का ध्यान लगाते समय इसका इस्तेमाल करते थे। बाद में सीरियाई शहर अलेप्पो और इस्तांबुल में भी यह चर्चा में आई।
जानकारी के अनुसार हर साल 01 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय कॉफी दिवस मनाने का विचार सन् 1963 में लंदन में स्थापित विश्व कॉफी संगठन ने किया था। इसके बाद इसे पहली बार 01 अक्टूबर 2015 को मनाया गया तथा कुछ देशों में तो कॉफी दिवस अलग-अलग तारीख को मनाया जाता हैं।
क्यों लगा था कॉफी पर प्रतिबंध : फिर एक समय ऐसा भी आया जब कॉफी पर प्रतिबंध लग गया था। कॉफी पीने पर सजा ए मौत भी दी जाने लगी। जी हां, आप शायद जानते नहीं होंगे कि कॉफी पर यह प्रतिबंध मक्का, काहिरा और इस्तांबुल में धार्मिक संगठनों ने लगाया था। उनका यह आरोप था कि कॉफी हाउस मयखानों से भी ज्यादा खराब है। सन् 1623 से 40 में मुराद के राज में कॉफी पीने वाले लोगों के लिए सजा-ए-मौत का भी ऐलान कर दिया गया था, लेकिन फिर भी लोगों ने कॉफी पीना बंद नहीं किया।
सबसे ज्यादा कॉफी का प्रोडक्शन भारत में होता है: आज भारत में और खासतौर से कनार्टक राज्य में सबसे ज्यादा कॉफी का उत्पादन होता है। एक रिपोर्ट के अनुसार सत्रहवीं शताब्दी की शुरुआत में ईस्ट इंडिया कंपनी और डच ईस्ट इंडिया कंपनी कॉफी की सबसे बड़ी खरीदार बन गई थीं। यह भी माना जाता है कि मुस्लिम संत बाबा बुदान हज की यात्रा से लौटते वक्त यमन से कॉफी के 7 बीज अपनी कमर में बांधकर भारत लाए थे। इसके बाद भारतीयों ने पहली बार कॉफी का स्वाद लिया।
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