Independence Day: भारत का स्वतंत्रता दिवस सिर्फ एक तारीख नहीं है, बल्कि यह हर भारतीय के दिल में बसने वाली भावना, त्याग और गर्व का प्रतीक है। 15 अगस्त का सूरज हमें सिर्फ आजादी की याद नहीं दिलाता, बल्कि यह उन लाखों बलिदानों की कहानी भी सुनाता है, जिनकी वजह से हम आज स्वतंत्र हवा में सांस ले रहे हैं। इस दिन का महत्व केवल ऐतिहासिक घटनाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके साथ जुड़ी कुछ अनोखी बातें इसे और भी खास बना देती हैं। बहुत से लोग इसके पीछे के रोचक तथ्यों से अनजान होते हैं, और इन्हीं खास जानकारियों को जानना हमारे गर्व और सम्मान को और बढ़ा देता है। तो चलिए जानते हैं 15 अगस्त से जुड़े 5 ऐसे रोचक तथ्य, जो इस दिन को और भी यादगार बनाते हैं।
1. 15 अगस्त की तारीख
बहुत कम लोग जानते हैं कि 15 अगस्त की तारीख का चुनाव महज यूं ही नहीं हुआ था। यह तारीख ब्रिटेन के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन के लिए खास महत्व रखती थी, क्योंकि 15 अगस्त 1945 को जापान ने द्वितीय विश्व युद्ध में आत्मसमर्पण किया था। माउंटबेटन इस दिन को ऐतिहासिक मानते थे, और इसी वजह से उन्होंने भारत की स्वतंत्रता की घोषणा के लिए यही तारीख चुनी। यह महज एक ऐतिहासिक संयोग था जिसने भारत की आजादी को एक अनोखी तिथि से जोड़ दिया।
2. आधी रात को हुआ था स्वतंत्रता का ऐलान
जब देश आजाद हुआ, तब 14 अगस्त की रात और 15 अगस्त की सुबह के बीच का समय था। रात के 12 बजे पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपने प्रसिद्ध भाषण "Tryst with Destiny" के साथ भारत की आजादी की घोषणा की। यह पल बेहद खास था, क्योंकि दुनिया के कई हिस्सों में लोग सो रहे थे, लेकिन भारत में हर दिल जोश और गर्व से जाग रहा था। आधी रात को स्वतंत्रता की घोषणा करना भी एक प्रतीक था कि अंधकार से उजाले की ओर देश का सफर शुरू हो चुका है।
3. भारत ही नहीं, ये देश भी मनाते हैं 15 अगस्त को आजादी का दिन
आपको जानकर हैरानी होगी कि 15 अगस्त सिर्फ भारत का स्वतंत्रता दिवस नहीं है। इस दिन कई और देश भी अपनी आज़ादी का जश्न मनाते हैं। इनमें दक्षिण कोरिया, उत्तर कोरिया, बहरीन और कांगो जैसे देश शामिल हैं। हालांकि, इनके पीछे के कारण और ऐतिहासिक घटनाएं अलग हैं, लेकिन तारीख का मेल इसे और भी दिलचस्प बना देता है। यह बात हमारे स्वतंत्रता दिवस को एक अंतरराष्ट्रीय संदर्भ में खास बना देती है।
4. पहला स्वतंत्रता दिवस और झंडा फहराने की परंपरा
पहले स्वतंत्रता दिवस पर पंडित नेहरू ने लाल किले की प्राचीर से राष्ट्रीय ध्वज फहराया था। यह परंपरा आज भी बरकरार है, और हर साल प्रधानमंत्री लाल किले पर तिरंगा फहराते हैं और देश को संबोधित करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि 1947 में फहराया गया झंडा आज के तिरंगे से थोड़ा अलग था? उस समय अशोक चक्र के स्थान पर चरखा बना हुआ था, जो महात्मा गांधी के स्वदेशी आंदोलन का प्रतीक था। बाद में इसे बदलकर अशोक चक्र शामिल किया गया।
5. 15 अगस्त 1947 को भारत और पाकिस्तान के बीच कोई तय सीमा रेखा मौजूद नहीं थी। असल में, दोनों देशों की सीमाएं 17 अगस्त को रेडक्लिफ लाइन के रूप में निर्धारित की गईं। स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद भारत ने 560 रियासतों को एकजुट कर भारतीय संघ का हिस्सा बनाया, जिससे देश का नक्शा आज जैसा है, वैसा आकार ले सका।
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