Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

कविता : भारत की संस्कृति का यह गौरव गान है

हमें फॉलो करें कविता : भारत की संस्कृति का यह गौरव गान है
- मदनमोहन व्यास 
 
इस महान भारत की संस्कृति का यह गौरव गान है।
न्याय-नीति का पालक अपना प्यारा हिन्दुस्तान है।।
जहां सृष्टि निर्माण हुआ था वर्ष करोड़ों पहले,
भारत के ज्ञानी विज्ञानी थे नहले पर दहले,
शून्य, शब्द, आकाश अंक से परिचित किया जगत को,
आगत की कल्पना हुई, माना आधार विगत को,
सब निष्पक्ष ज्ञानियों को इस भारत की पहचान है।
न्याय-नीति का पालक अपना प्यारा हिन्दुस्तान है।।
 
सत्ता के हित युद्ध नहीं करते अपने अवतार कभी,
हो अनीति, अन्याय, अपहरण, उन्हें नहीं स्वीकार कभी,
बड़े भाई से लिया राज्य तो छोटे भाई को दिया,
सोने की लंका से रत्तीभर सोना भी नहीं लिया,
श्रीराम निस्पृहता के साक्षी वेद पुराण हैं।
न्याय-नीति का पालक अपना प्यारा हिन्दुस्तान है।।
 
ऐसा ही व्यवहार कंस शिशुपाल आदि के साथ हुआ,
जीता जो सिंहासन उनके परिवारों के हाथ दिया,
अगर चाहते कृष्णचंद्र तो बन जाते खुद ही सम्राट, 
जिनके इंगित पर निर्भर थे चक्रवर्तियों के सब ठाठ,
सब शस्त्रों से बढ़कर जिनकी बांसुरियों की तान है।
न्याय-नीति का पालक अपना प्यारा हिन्दुस्तान है।।
 
त्यागा राज्य तपस्वी गौतम महावीर भी आ गए, 
सत्य अहिंसा करुणा के स्वर अंतरिक्ष में छा गए,
सबका स्वागत किंतु देश की रक्षा पंक्ति सशक्त थी,
हमलावर मेहमूद गौरी को सत्रह बार शिकस्त दी,
सज्जन को हम दूध-शकर, दुर्जन के लिए कृपाण हैं।
न्याय-नीति का पालक अपना प्यारा हिन्दुस्तान है।।
 
साभार- देवपुत्र


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

US Elections 2020: बिडेन ने कमला हैरिस को बनाया उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार