दो तलवार एक मयान में नहीं रह सकती ये लाइन सोनम मलिक और अंशु मलिक पर सटीक बैठती हैं। एक ही राज्य से आने वालीं ये अंशु और सोनम आज भारत के लिए स्वर्ण पदक लाने की दावेदारी पेश करने को तैयार हैं। आज वह दोस्त हैं और एक साथ भारत के लिए मेडल जीतकर स्वदेश लौटना चाहती हैं। लेकिन अगर आप थोड़ा पीछे जाएंगे, तो यहां कहानी दोस्ती की नहीं बल्कि दुश्मनी की थी।
जी हां, सोनम और अंशु के बीच अखाड़े के अंदर राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर एक-दूसरे को पटखनी देने और खिताब अपने नाम करने की होड़ रहती थी, साथ ही साथ वह बाहर भी एक-दूसरे को दुश्मन की नजर से ही देखती हैं। दोनों रेसलर ही आपस में दुश्मन नहीं थी, बल्कि इनके परिवार की भी आपस में रिश्ते अच्छे नहीं थे और कई बार तो नौबत मार-पीट की भी आ गई थी।
दरअसल, जब कोई मैच होता है, तो एक खिलाड़ी जीतता है, तो दूसरा हारता है, ये तो खेल का नियम है। मगर इनके परिवार वालों के बीच में झड़प इस बात को लेकर हो जाती थी, कि दोनों अपनी-अपनी बेटियों को जीत का दावेदार मानते थे। लेकिन अब ये कहानी बिलकुल बदल चुकी है और अंशु मलिक व सोनम मलिक ने पूजा ढ़ांडा और साक्षी मलिक को पछाड़कर टोक्यो ओलंपिक में भारतीय टीम में क्रमश: 57 व 62 किलो ग्राम वर्ग में जगह बनाई है।
अंशु के पिता धर्मवीर ने कहा, वे दोनों अच्छे हैं। हमने सोचा था कि अगर वे इसी श्रेणी में रहे तो क्षमता होने के बावजूद उनमें से एक भारत का प्रतिनिधित्व करने से चूक जाएगा, इसलिए हमने उनकी श्रेणियां बदलने का फैसला किया। उस समय अंशु 60 किग्रा में बनी रही और सोनम ने 56 किग्रा में हिस्सा लिया। यही उनके लिए सबसे अच्छा विकल्प था। उसके बाद दोनों विश्व चैंपियन (2017 में कैडेट) बन गए।
अंशु से जब इस बारे में पूछा गया तो उनके चेहरे पर मुस्कान आ गई। हालांकि, सोनम ने कहा, हम अब बहनों की तरह हैं। हम एक-दूसरे की सफलता का लुत्फ उठाते हैं।
यही तो है खेल की ताकत कि वह दुश्मनों को भी दोस्त बना देता है। अब अंशु व सोनम देश को गौरवान्वित करने के लिए तत्पर होंगी।