exclusive economic zone of india : हम अक्सर भारत का नक्शा देखते हैं – हिमालय से लेकर कन्याकुमारी तक, गुजरात से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत का "असली नक्शा" इससे कहीं ज़्यादा बड़ा है? यह सिर्फ हमारी ज़मीन तक ही सीमित नहीं, बल्कि हमारे विशाल समुद्री क्षेत्र तक फैला हुआ है। हम बात कर रहे हैं भारत के एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन (EEZ) की, जो देश की समृद्धि और सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
क्या होता है एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन (EEZ)?
एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक ज़ोन (EEZ) एक ऐसा समुद्री क्षेत्र होता है जिस पर किसी तटीय देश का विशेष अधिकार होता है। संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (UNCLOS) के तहत, यह तटीय रेखा से 200 समुद्री मील (लगभग 370 किलोमीटर) तक फैला होता है। इस क्षेत्र में, संबंधित देश को समुद्री संसाधनों (मछली, तेल, गैस, खनिज आदि) की खोज, दोहन, संरक्षण और प्रबंधन का पूरा अधिकार होता है। साथ ही, वैज्ञानिक अनुसंधान और कृत्रिम द्वीपों के निर्माण का भी अधिकार होता है।
भारत का एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन कहां तक है?
भारत का एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन देश की मुख्य भूमि की तटीय रेखा से लेकर हमारे द्वीपों, विशेषकर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की तटीय रेखा से 200 समुद्री मील तक फैला हुआ है। यही वास्तव में भारत का असल नक्शा है। यह एक विशाल क्षेत्र है जो भारत की समुद्री शक्ति और संसाधनों पर उसके नियंत्रण को दर्शाता है। यह सिर्फ समुद्री जल नहीं, बल्कि उसके नीचे की सतह और उपसतह तक फैला हुआ है, जिसमें अथाह संभावनाएं छिपी हैं।
इसका महत्व क्या है?
इंडिया का एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक ज़ोन (ईईजेड) भी है और इसका महत्व बहुआयामी है। सबसे पहले, यह भारत की आर्थिक सुरक्षा के लिए बेहद अहम है। यदि भारत के एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक ज़ोन में कोई बड़ा प्राकृतिक संसाधन निकल आता है, तब उस पर सिर्फ भारत का अधिकार होगा। कल्पना कीजिए, यदि इस क्षेत्र में तेल, प्राकृतिक गैस या दुर्लभ खनिजों के विशाल भंडार मिलते हैं, तो यह देश की ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक विकास को नई ऊंचाई देगा।
दूसरा, यह हमारी खाद्य सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। समुद्री भोजन, विशेषकर मछली, भारत की बड़ी आबादी के लिए प्रोटीन का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। ईईजेड में मछली पकड़ने और उसके प्रबंधन का अधिकार हमें इस महत्वपूर्ण संसाधन का स्थायी रूप से उपयोग करने की अनुमति देता है।
तीसरा, यह वैज्ञानिक अनुसंधान और तकनीकी विकास के लिए एक विशाल अवसर प्रदान करता है। समुद्री जीवन, महासागरीय प्रक्रियाओं और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अध्ययन करने के लिए यह क्षेत्र अमूल्य है।
विश्व में जिन मुल्कों की तटीय रेखा होती है और उनकी सीमा किसी महासागर/वॉटर बॉडी से लगती है तब वह ईईजेड होता है। यह सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के उन देशों के लिए महत्वपूर्ण है जिनकी पहुंच समुद्र तक है।
भविष्य की योजनाएं और वैश्विक संदर्भ
एक्सपर्ट्स की मानें तो इंडिया का ईईजेड को आने वाले समय में और फैलाने का प्लान है। यानी इसका और विस्तार होगा, जो देश के लिए अहम हो सकता है। यह विस्तार हमारी समुद्री शक्ति और वैश्विक प्रभाव को और बढ़ाएगा। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो भारत को एक प्रमुख समुद्री राष्ट्र के रूप में स्थापित करेगा।
दुनिया में कुल 14 ऐसे देश हैं, जिनके ईईजेड में समय के साथ विस्तार हुआ। ऐसे देशों में ऑस्ट्रेलिया, जापान, रूस, न्यूजीलैंड, चीन और अन्य शामिल हैं। इन देशों ने अपने समुद्री अधिकारों का विस्तार कर अपनी आर्थिक और सामरिक स्थिति को मजबूत किया है। भारत भी इसी दिशा में आगे बढ़ रहा है।
संक्षेप में, भारत का एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक ज़ोन सिर्फ एक भौगोलिक अवधारणा नहीं, बल्कि हमारी संप्रभुता, सुरक्षा और समृद्धि का प्रतीक है। यह हमें समुद्री संसाधनों का उपयोग करने, अनुसंधान करने और भविष्य के लिए एक मजबूत नींव बनाने का अधिकार देता है। यही वास्तव में भारत का असली नक्शा है – हमारी भूमि, हमारे लोग और हमारा विशाल नीला समुद्र।