मुंबई। शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को कहा कि उनकी पार्टी राष्ट्रपति पद के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करेगी।
ठाकरे ने कहा कि शिवसेना यह स्वीकार करते हुए बिना किसी दबाव के मुर्मू को समर्थन देने की घोषणा कर रही है कि यह पहला मौका है, जब किसी आदिवासी महिला को राष्ट्रपति बनने का मौका मिल रहा है।
उन्होंने मुंबई में 1 दिन पहले अपने आवास पर आयोजित शिवसेना सांसदों की बैठक का उल्लेख करते हुए कहा कि शिवसेना सांसदों की बैठक में किसी ने मुझ पर दबाव नहीं डाला।
बीजद, वाईएसआर-कांग्रेस, बसपा, अन्नाद्रमुक, तेदेपा, जदएस, शिरोमणि अकाली दल और अब शिवसेना जैसे कुछ क्षेत्रीय दलों का समर्थन मिलने के बाद राजग उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के मतों की हिस्सेदारी पहले ही 60 प्रतिशत के पार हो चुकी है। उनके नामांकन के समय यह लगभग 50 प्रतिशत थी।
सोमवार को हुई बैठक में शिवसेना के ज्यादातर सांसदों ने ठाकरे से मुर्मू की उम्मीदवारी का समर्थन करने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा कि मैं अपना रुख स्पष्ट कर रहा हूं। मेरी पार्टी के आदिवासी नेताओं ने मुझसे कहा कि यह पहली बार है कि किसी आदिवासी महिला को राष्ट्रपति बनने का मौका मिल रहा है। उनके विचारों का सम्मान करते हुए हमने द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने का निर्णय किया है।
ठाकरे ने कहा कि दरअसल, वर्तमान राजनीतिक माहौल को देखते हुए मुझे उनका समर्थन नहीं करना चाहिए था लेकिन हम संकीर्ण मानसिकता वाले नहीं हैं।
ठाकरे ने कहा कि पार्टी के कई नेताओं, विशेष रूप से आदिवासी समुदाय के विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) अमश्या पडवी, पूर्व विधायक निर्मला गावित और एकलव्य संगठन के शिवाजीराव धवले ने उनसे मुर्मू का समर्थन करने का आग्रह किया था।
शिवसेना प्रमुख ने कहा कि उन्हें मुर्मू का समर्थन करने के लिए खानाबदोश जनजातियों और अनुसूचित जनजाति समुदायों से प्रतिवेदन भी मिला है।
ठाकरे ने कहा कि मैं फिर से कह रहा हूं कि द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने के लिए मुझ पर कोई दबाव नहीं है। वर्तमान राजनीतिक माहौल को देखते हुए मुझे उनका (मुर्मू) समर्थन नहीं करना चाहिए था, क्योंकि वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की उम्मीदवार हैं लेकिन हम संकीर्ण सोच वाले नहीं हैं।
उन्होंने याद किया कि शिवसेना ने 2007 और 2012 में हुए राष्ट्रपति चुनावों में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) उम्मीदवारों क्रमश: प्रतिभा पाटिल और प्रणब मुखर्जी का समर्थन किया था, भले ही उस समय शिवसेना, भाजपा के नेतृत्व वाले राजग की एक घटक थी।
ठाकरे ने कहा कि उस समय भी शिवसेना ने राजनीति से परे सोचा था और वह किया, जो देश के लिए अच्छा था। लोकसभा में शिवसेना के 19 सांसद हैं जिनमें 18 महाराष्ट्र से हैं। राज्यसभा में इसके 3 सांसद हैं। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के पास 15 विधायक बचे हैं, क्योंकि 40 विधायक एकनाथ शिंदे गुट के साथ हो गए हैं।
शिवसेना के एक पदाधिकारी ने कहा कि शिवसेना के एक प्रतिनिधिमंडल के मुर्मू से मिलने की संभावना है ताकि वे उन्हें पार्टी का समर्थन दे सकें। अगला राष्ट्रपति चुनने के लिए चुनाव 18 जुलाई को होगा। राष्ट्रपति भवन की दौड़ मुर्मू और विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के बीच होगी।