नई दिल्ली। एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद शिवसेना अब फूंक-फूंक कदम रख रही है। पार्टी सांसदों के तेवर देखते हुए शिवसेना एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन कर सकती है। इस संबंध में पार्टी की बैठक में भी चर्चा हुई है। शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने एएनआई से कहा है कि मुर्मू को समर्थन का मतलब भाजपा को समर्थन देना नहीं होगा।
संजय राउत ने कहा कि सोमवार को पार्टी की बैठक में राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने को लेकर चर्चा की है। इस बारे में एक-दो दिन में फैसला ले लिया जाएगा। हालांकि उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि मुर्मू को समर्थन देने का मतलब भाजपा को समर्थन देना नहीं होगा।
क्या डर गई है शिवसेना : दरअसल, विधायकों की बड़ी टूट से शिवसेना इस समय पूरी तरह डरी हुई है। अत: वह फूंक-फूंककर कदम उठा रही है। विधायकों की बगावत के कारण शिवसेना को महाराष्ट्र की सत्ता छोड़नी पड़ी थी। एक तरफ महाविकास अघाड़ी में होने के कारण उद्धव पर यशवंत सिन्हा को समर्थन देने का दबाव है, वहीं शिवसेना के सांसद द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देना चाहते हैं। बताया जा रहा है कि 18 में शिवसेना के 13 सांसदों का झुकाव मुर्मू की तरफ है।
शिवसेना नेता गजानन कीर्तिकर ने कहा कि शिवसेना के 18 लोकसभा सदस्यों में से 13 ने सोमवार को राष्ट्रपति चुनाव पर एक महत्वपूर्ण बैठक में भाग लिया और उनमें से अधिकतर ने एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने का सुझाव दिया। ऐसे में माना जा रहा है कि शिवसेना मजबूरी में मुर्मू को समर्थन दे सकती है। बताया जा रहा है कि राष्ट्रपति चुनाव के बाद शिवसेना के सांसदों में बड़ी टूट की खबर आ सकती है।