दत्तात्रेय को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का अवतार माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय जयंती (Datta Jayanti in India) या दत्त पूर्णिमा मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर मनाई जाती है। दत्तात्रेय तीन सिर और छह भुजाओं से समृद्ध थे। उनका जन्म ऋषि अत्रि और देवी अनसूया के घर हुआ था। उन्हें भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से एक माना जाता है।
भगवान दत्तात्रेय के पीछे खड़ी गाय पृथ्वी एवं कामधेनु का प्रतीक हैं। कामधेनु हमें इच्छित वस्तु प्रदान करती हैं। भगवान दत्तात्रेय के साथ जुड़े चार श्वान- ये ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद एवं अथर्ववेद इन चारों वेदों के प्रतीक हैं। भगवान दत्तात्रेय का पूजनीय स्वरूप औदुंबर वृक्ष है, इस वृक्ष में भगवान तत्व रूप में मौजूद रहते हैं।
dattatreya birth इस बार 18 दिसंबर 2021, दिन शनिवार को भगवान दत्तात्रेय का जन्मोत्सव अथवा दत्त पूर्णिमा Dattatreya Jayanti 2021 मनाई जा रही है। इस दिन उनकी विशेष पूजा की जाती है तथा मंत्र 'दिगंबरा दिगंबरा श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा' का जाप किया जाता है। उनकी पूजा विशेष तौर पर महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना राज्य तथा गुजरात और मध्य प्रदेश के कई हिस्सों में की जाती है। गोवा, आंध्र प्रदेश में भी उन्हें पूजा जाता है। उन्हें त्रिदेवों का शक्तिपुंज माना जाता है।
शास्त्रों की मानें तो भगवान के प्रत्येक अवतार का एक विशिष्ट प्रयोजन होता है। भगवान दत्तात्रेय के अवतार में हमें असाधारण वैशिष्ट्य का दर्शन होता है। वे योगियों के परम होने के कारण सर्वत्र गुरुदेव कहे जाते हैं। भगवान दत्तात्रेय और बाल कृष्ण लीलाओं में समानता है क्योंकि दोनों ही विष्णु के अवतार हैं। मान्यतानुसार अपने दोनों पुत्रों ब्रह्मा और महेश के वियोग से दुखी सती अनुसूया के दुख को दूर करने के लिए भगवान विष्णु ने अपने स्वरूप को तीन रूपों में धारण किया था। भगवान दत्तात्रेय प्रातःकाल ब्रह्मा जी के रूप में, मध्यान्ह के समय विष्णु जी के रूप में तथा शाम को शंकर जी के रूप में दर्शन देते हैं।
वह एक ऐसे ऋषि हैं जिन्होंने बिना गुरु के ज्ञान प्राप्त किया। संसार के महान सद्गुरु भगवान दत्त महाप्रभु हैं। उन्होंने मानव कल्याण हेतु ज्ञान-विज्ञान की ऐसी अलख जगाई जिसके परिणामस्वरूप उन्हें सद्गुरु कहा जाने लगा। उनका पूजन एवं स्मरण करने से संकटों का निवारण होता है तथा समस्त मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है। भगवान दत्तात्रेय ने अवतार ग्रहण करके विश्व को चार प्रकारों के ज्ञानों का उपहार प्रदान किया। विष्णु के 24 अवतारों में उपदेशों का संकलन भगवान दत्तात्रेय के द्वारा ही प्रस्तुत किया गया था।
भगवान दत्तात्रेय ने विश्व को शक्तिमान विधा की अनुपम भेंट प्रदान की। उनके द्वारा दिया गया 24 ज्ञान आज भी विश्व की धरोहर है। यह भी कहा जाता है कि दत्तात्रेय जी योगियों के राजा एवं ज्ञानियों के गुरु थे। वे अपने भक्तों पर कृपा करने के पहले उनकी पूर्ण परीक्षा लेते थे।
एक बार राजा सहस्त्रार्जुन को भ्रमित करने के लिए दत्तात्रेय ने उन्हें कई लीलाएं दिखाईं। लेकिन सहस्त्रार्जुन भ्रमित हुए बगैर दत्तात्रेय के चरणों में डटे रहे। देवगुरु दत्त अवतारी पुरुष हैं। उन्होंने एकाग्रता के साथ सत्संग करने की प्रेरणा दी है। भक्तों की मनोकामना पूर्ण करने वाले दत्त प्रभु का स्मरण करने मात्र से सारे कष्टों का निवारण हो जाता है।