पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सृष्टि में एक भगवान हुए हैं जिन्हें ब्रह्मा विष्णु महेश तीनों का स्वरूप माना जाता है। उन्हें भगवान दत्तात्रेय के नाम से जाना जाता है।
दत्तात्रेय जयंती का शुभ मुहूर्त 18 दिसंबर 2021 को है
इस दिन चंद्रमा मिथुन राशि रोहिणी नक्षत्र में रहेगा व साध्य एवं शुभ योग रहेगा।
पूर्णिमा पर भगवान दत्तात्रेय की पूजा प्रदोष काल में की जाती है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि प्रारंभ 18 दिसंबर 2021, शनिवार सुबह 7:24
मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि समाप्त 19 दिसंबर 2021, रविवार सुबह 10:06
दत्त भगवान की आराधना जीवन की हर बाधा दूर करने में सक्षम है। जिन मनुष्यों को पितृ दोष का अनुभव हो रहा हो या घर में निरंतर कोई न परेशानी बनी रहती हो तो उन्हें प्रतिदिन श्री दत्तात्रेय भगवान के नाम का जाप करना चाहिए।
दत्त भगवान के दर्शन करने से भी जीवन में सबकुछ अच्छा घटित होने लगता है। पितृ दोष से पीड़ित व्यक्ति का जीवन अत्यंत कष्टमय हो जाता है। अत: विशेष कर अमावस्या और पूर्णिमा के दिन तो दत्त नाम की माला अवश्य जपना चाहिए। खास कर हर माह आने वाली पूर्णिमा के दिन दत्तात्रेय के इन चमत्कारिक महामंत्र की माला जपने से या निरंतर इन नामों का जाप करने से पितृ दोष दूर होता है।
पढ़ें महागुरु दत्तात्रेय के महाशक्तिशाली मंत्र :-
मंत्र 1. 'श्री दिगंबरा दिगंबरा श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा'।
मंत्र 2. 'श्री गुरुदेव दत्त'।
तांत्रोक्त मंत्र 3. 'ॐ द्रां दत्तात्रेयाय नम:'
दत्त गायत्री मंत्र 4. 'ॐ दिगंबराय विद्महे योगीश्रारय् धीमही तन्नो दत: प्रचोदयात'
5. इसके अलावा इस मंत्र का जाप मानसिक रूप से करना चाहिए-
मानसिक रूप से जाप करने का मंत्र- ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां ॐ द्रां।
इसके बाद नित्य 10 माला का जाप निम्न मंत्र से करना चाहिए।