Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(कामदा एकादशी)
  • तिथि- चैत्र शुक्ल एकादशी
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00 तक
  • व्रत/मुहूर्त-कामदा एकादशी, दादा ठनठनपाल आनंद महो.
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
webdunia
Advertiesment

ओम जय जगदीश आरती को हो गए हैं कितने साल, क्यों हो रही है ट्रेंड, जानिए

हमें फॉलो करें ओम जय जगदीश आरती को हो गए हैं कितने साल, क्यों हो रही है ट्रेंड, जानिए
, गुरुवार, 25 जून 2020 (12:25 IST)
एक ऐसी आरती जिसका हिन्दू शास्त्रों में कोई उल्लेख नहीं मिलता लेकिन फिर भी यह आरती इतनी प्रचलित और प्रसिद्ध है कि यह आरती हिन्दू धर्म के हर मंदिरों में गायी जाती है, लेकिन इस समय यह आरती क्यों ट्रेंड कर रही है?
 
दरअसल, इस आरती के रचयिता पंडित श्रद्धाराम शर्मा (फिल्लौरी) का आज पुण्य स्मरण दिवस है। आज ही के दिन 24 जून 1881 को श्रद्धारामजी की लाहौर में मृत्यु हो गई थी। उनका जन्म 30 सितम्बर, 1837 में पंजाब के जालंधर जिले में लुधियाना के पास एक गांव फिल्लौरी (फुल्लौर) में हुआ था। उनका विवाह एक सिक्ख महिला महताब कौर के साथ हुआ था।
 
साहित्यकार : पंडितजी सनातन धर्म प्रचारक, ज्योतिषी, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, समाज सुधारक और संगीतज्ञ होने के साथ-साथ हिन्दी और पंजाबी के प्रसिद्ध साहित्यकार भी थे। पंडित श्रद्धाराम ने पंजाबी (गुरुमुखी) में सन्न 1866 में ‘सिक्खां दे राज दी विथिया’ और ‘पंजाबी बातचीत’ जैसी प्रसिद्ध किताबें भी लिखी हैं। 1877 में लिखा उनका उपन्यास ‘भाग्यवती’ हिन्दी के प्रारंभिक उपन्यासों में से एक गिना जाता है। उन्हें आधुनिक पंजाबी भाषा का जनक भी माना जाता है। इसके अलावा भी उन्होंने कई रचनाएं लिखी हैं। संस्कृत और उर्दू भाषा में भी उन्होंने कई किताबों की रचना की हैं।
 
‘ओम जय जगदीश हरे’ के र‍चयिता : 1870 में 32 वर्ष की उम्र में पंडित श्रद्धाराम शर्मा ने ‘ओम जय जगदीश हरे’ आरती की रचना की थी। आज इस आरती के 150 वर्ष भी पूर्ण हो गए हैं। 
 
पिता ने की थी भविष्यवाणी : उनके पिता जयदयालु स्वयं एक अच्छे ज्योतिषी और धार्मिक प्रवृत्ति के थे। पिता ने अपने पुत्र की कुंडली पढ़कर कहा था कि ये बालक अपनी कम आयु में ही जीवनी में चमत्कारी प्रभाव वाले कार्य करेगा। पंडितजी ने 1844 में मात्र सात वर्ष की उम्र में ही गुरुमुखी लिपि सीख ली थी। दस साल की उम्र में संस्कृत, हिन्दी, फ़ारसी, पर्शियन तथा ज्योतिष आदि की पढ़ाई शुरू की और कुछ ही वर्षों में वे इन सभी विषयों में पारंगत हो गए। 
 
सामाजिक कार्य : पंडितजी ने साहित्य और भाषा की सेवा के साथ ही धर्म और समाज के लिए भी बहुत कार्य किए। उन्होंने अंग्रेजों खिलाफ भी लड़ाई लड़ी और समाजिक कुप्रथाओं के खिलाफ लोगों को जगाया। उन्होंने कन्या भ्रूण हत्या, बाल विवाह औ स्त्री पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ अपनी आवाज को बुलंद किया। जगह-जगह पर उनको धार्मिक और सामाजिक विषयों पर व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया जाता था। उस दौरान तब हजारों की संख्या में लोग उनको सुनने आते थे। आज उनके पुण्य दिवस पर उन्हें श्रद्‍धासुमन।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

भानुमति ने कुनबा जोड़ा, कैसे बनी कहावत, पढ़ें रोचक जानकारी