Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(सप्तमी तिथि)
  • तिथि- मार्गशीर्ष कृष्ण सप्तमी
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00 तक
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
  • व्रत/दिवस-झलकारी बाई ज., दुर्गादास राठौर दि.
webdunia
Advertiesment

श्रीराम शर्मा आचार्य के जीवन के बारे में 11 तथ्य

हमें फॉलो करें श्रीराम शर्मा आचार्य के जीवन के बारे में 11 तथ्य

अनिरुद्ध जोशी

, सोमवार, 20 सितम्बर 2021 (12:19 IST)
भारत के आध्यात्मिक संत पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य की 20 सितम्बर को जयंती है। वे एक दार्शनिक, विचारक और समाज सुधार के रूप में जीवनभर कार्य करते रहे हैं। उन्होंने वैदिक परंपरा की पुन: स्थापना का महत्वपूर्ण कार्य किया। आओ जानते हैं उनके जीवन के संबंध 11 तथ्‍य।
 
 
1. भारत के अध्यात्मिक संत पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य का 20 सितम्बर, 1911 आगरा जिले के आंवलखेड़ा गांव में जन्म हुआ। उनके पिता श्री पं.रूपकिशोर शर्मा जी एक प्रसिद्ध पंडित थे। उनकी माता का नाम दानकुंवरी देवी था।
2. पंद्रह वर्ष की आयु में वसंत पंचमी के दिन सन् 1926 में उनके घर की पूजास्थली पर ही पं. मदनमोहन मालवीय जी ने उन्हें काशी में गायत्री मंत्र की दीक्षा दी थी।
 
3. 1927 से 1933 तक का उनका समय एक सक्रिय स्वयं सेवक व स्वतंत्रता सेनानी के रूप में बीता। आगरा में सैनिक समाचार पत्र के सहायक संपादक के रूप में कार्य किया।
 
4. 1935 के बाद उनके जीवन की नई यात्रा प्रारंभ हुई जब वे श्री अरविन्द से मिलने पाण्डिचेरी, गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगौर से मिलने शांति निकेतन तथा गांधीजी से मिलने साबरमती आश्रम गए। इसके बाद वे अथ्‍यात्मि की तलाश में हिमालय चले गए। वहां उन्होंने एक पहुंचे हुए संत से दीक्षा और प्रेरणा ली और फिर गायत्री आंदोलन की शुरुआत हुई।
 
5. श्रीराम शर्मा आचार्य ने हिंदुओं में जात-पात को मिटाने के लिए गायत्री आंदोलन की शुरुआत ‍की। उन्होंने सभी जातियों के लोगों को बताया कि ब्राह्मणत्व प्राप्त कैसे किया जाए। 
 
6. उन्होंने हरिद्वार में शांति कुंज की स्थापना की थी। जहां गायत्री के उपासक विश्वामित्र ने कठोर तप किया था उसी जगह उन्होंने अखंड दीपक जलाकर हरिद्वार में शांतिकुंज की स्थापना की। 
 
7. उन्होंने गायत्री शक्ति और गायत्री मंत्र के महत्व को पूरी दुनिया में प्रचारित किया। उनकी पत्नी भगवती देवी शर्मा ने उनके कार्य में बराबरी से साथ दिया। 
 
8. पंडितजी ने वेद और उपनिषदों का सरलतम हिंदी में श्रेष्ठ अनुवाद किया किया है जो पठनीय है।
 
9. उन्होंने ही अखंड ज्योति नामक पत्रिका का प्रकाशन किया था। अखण्ड ज्योति नामक पत्रिका का पहला अंक 1938 की वसंत पंचमी पर प्रकाशित किया गया।
 
10. उन्होंने शांतिकुंज, ब्रह्मवर्चस, गायत्री तपोभूमि, अखण्ड ज्योति संस्थान एवं युगतीर्थ आंवलखेड़ा जैसी अनेक संस्थाओं द्वारा युग निर्माण योजना का कार्य किया जो आज भी जारी है।
 
11. अस्सी वर्ष की उम्र में उन्होंने शांतिकुंज में ही देह छोड़ दी। गुरुजी की आत्मा 2 जून, 1990 को शरीर त्याग कर परमात्मा में विलीन हो गयी।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

आज से पितृ पक्ष शुरू : 16 दिन की 16 बातें जानिए क्या करें, क्या न करें