Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(चतुर्थी व्रत)
  • तिथि- आश्विन शुक्ल तृतीया
  • शुभ समय-9:11 से 12:21, 1:56 से 3:32
  • व्रत/मुहुर्त-भद्रा/विनायकी चतुर्थी
  • राहुकाल- सायं 4:30 से 6:00 बजे तक
webdunia
Advertiesment

कबीर जयंती : संत कबीरदासजी हिन्दू थे या मुसलमान?

हमें फॉलो करें कबीर जयंती : संत कबीरदासजी हिन्दू थे या मुसलमान?
webdunia

अनिरुद्ध जोशी

Kabir jayanti : प्रतिवर्ष ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन संत कबीर की जयंती मनाई जाती है। अंग्रेजी माह के अनुसार इस बार 14 जून 2022 बुधवार को उनकी जयंती मनाई जाएगी। कई लोग संत कबीरदासजी को हिन्दू तो कुछ लोग मुसलमान मानते हैं। आखिर वे क्या थे?
 
1. भारत में ऐसे कुछ ही संत हुए हैं जिन्हें सभी धर्मों के लोग मानते हैं। जैसे गुरु गोरखनाथ, बाबा रामदेव, संत कबीर और साईं बाबा।
 
2. संत कबीर का पहनावा कभी सूफियों जैसा होता था तो कभी वैष्णवों जैसा। 
 
3. संत कबीर राम की भक्ति करते थे। कुछ कहते हैं कि वे दशरथ पुत्र राम की नहीं बल्कि निराकार राम की उपासना करते थे।
 
4. कुछ कहते हैं कि कबीर दासजी वैरागी साधु थे उसी तरह जिस तरह की सूफी होते हैं। रामानंद ने संत कबीर को चेताया तो उनके मन में वैराग्य भाव उत्पन्न हो गया और उन्होंने उनसे दीक्षा ले ली।
 
5. कबीर का पालन-पोषण नीमा और नीरू ने किया जो जाति से जुलाहे थे। यह दोनों उनके माता पिता नहीं थे। कुछ लोग उन्हें हिन्दू दलित समाज का मानते थे।
 
6. कबीरजी का विवाह वैरागी समाज की लोई के साथ हुआ था जिससे उन्हें दो संतानें हुईं। लड़के का नाम कमाल और लड़की का नाम कमाली था।
 
7. संत कबीर रामानंद अर्थात रामानंदाचार्य के 12 शिष्यों में से एक थे। रामानंदजी श्रीराम के भक्त थे तो कहते हैं कबीर भी उन्हीं के भक्त थे।
 
8. दरअस, संत कबीर ने जो मार्ग अपनाया था वह निर्गुण ब्रह्म की उपासना का मार्ग था। निर्गुण ब्रह्म अर्थात निराकार ईश्‍वर की उपासना का मार्ग था। संत कबीर भजन गाकर उस परमसत्य का साक्षात्कार करने का प्रयास करते हैं। वे वेदों के अनुसार निकाराकर सत्य को ही मानते थे।
 
9. ऐसी मान्यता है कि मृत्यु के बाद उनके शव को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया था। हिन्दू कहते थे कि उनका अंतिम संस्कार हिन्दू रीति से होना चाहिए और मुस्लिम कहते थे कि मुस्लिम रीति से। इसी विवाद के चलते जब उनके शव पर से चादर हट गई, तब लोगों ने वहां फूलों का ढेर पड़ा देखा। बाद में वहां से आधे फूल हिन्दुओं ने ले लिए और आधे मुसलमानों ने। मुसलमानों ने मुस्लिम रीति से और हिंदुओं ने हिंदू रीति से उन फूलों का अंतिम संस्कार किया। मगहर में कबीर की समाधि है और दरगाह भी।
 
10. संत कबीर के भजन : संत कबीर का काव्य या भजन रहस्यवाद का प्रतीक है। यह निर्गुणी भजन है। वे अपने भजन के माध्यम से समाज के पाखंड को उजागर करते थे। ऐसे कितने ही उपदेश कबीर के दोहों, साखियों, पदों, शब्दों, रमैणियों तथा उनकी वाणियों में देखे जा सकते हैं, जो धर्म और समाज के पाखंड को उजागर करते हैं। इसी से कबीर को राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रियता मिली और वे लोकनायक कवि और संत बने। आज भी उनके भक्ति गीत ग्रामीण, आदिवासी और दलित इलाकों में ही प्रचलित हैं। छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के गांवों में कबीर के गीतों की धून आज भी जिंदा है।
 
11. कबीरदासजी के अवतार : कहते हैं कि संत कबीरदासजी ने अक्कलकोट स्वामी या साईं बाबा के रूप में फिर से जन्म लिए था। कई सूत्रों और तथ्‍यों से यह ज्ञात होता है कि संत कबीर एक हिन्दू थे।
webdunia

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

वट सावित्री पूर्णिमा व्रत के दिन कैसे करें बरगद की पूजा, क्या है पूजा का मुहूर्त, जानिए