Vat Savitri Vrat Pooja Vidhi And Muhurta : स्कन्द व भविष्य पुराण के अनुसार वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को किया जाता है, लेकिन निर्णयामृतादि के अनुसार यह व्रत ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को भी किया जाता है। भारत में अमानता व पूर्णिमानता ये दो मुख्य कैलेंडर प्रचलित हैं। पूर्णिमानता कैलेंडर के अनुसार वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ माह की अमावस्या को मनाया जाता है जबकि अमानता कैलेंडर के अनुसार इसे ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को मनाते हैं, जिसे वट पूर्णिमा व्रत भी कहते हैं। 14 जून 2022 मंगलवार को यह व्रत रखा जाएगा। आओ जानते हैं वट सावित्री पूर्णिमा की पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र और कथा।
वट सावित्री पूर्णिमा व्रत पूजा का मुहूर्त- Muhurta for Vat Savitri Purnima Vrat Puja :
पूर्णिमातिथि : पूर्णिमा तिथि शाम 05:21 तक उसके बाद प्रतिपदा।
अभिजीत मुहूर्त : सुबह 11:31 से 12:26 तक।
अमृत काल मुहूर्त : सुबह 10:47 से दोहपर 12:12 तक।
विजय मुहूर्त : दोपहर 02:15 से 03:10 तक।
गोधूलि मुहूर्त : शाम 06:36 से 07:00 तक।
सायाह्न संध्या मुहूर्त : शाम 06:49 से 07:51 तक।
वट सावित्री पूर्णिमा व्रत पूजा विधि :
1. वट सावित्री पूर्णिमा के दिन सर्वप्रथम सुहागन महिलाएं सुबह उठकर अपने नित्य क्रम से निवृत हो स्नान करके शुद्ध हो जाएं।
2. फिर नए वस्त्र पहनकर सोलह श्रृंगार कर लें।
3. इसके बाद पूजन के सभी सामग्री को डलिया या थाली में सजा लें।
4. वट वृक्ष के नीचे जाकर वहां पर सफाई कर सभी सामग्री रख लें।
5. सबसे पहले सत्यवान एवं सावित्री की मूर्ति स्थापित करें। अब धूप, दीप, रोली, सिंदूर से पूजन करें।
6. लाल कपड़ा सत्यवान-सावित्री को अर्पित करें तथा फल समर्पित करें।
7. फिर बांस के पंखे से सत्यवान-सावित्री को हवा करें।
8. बरगद के पत्ते को अपने बालों में लगाएं।
9. अब धागे को बरगद के पेड़ में बांधकर यथा शक्ति 5, 11, 21, 51 या 108 बार परिक्रमा करें।
10. इसके बाद सावित्री-सत्यवान की कथा पंडित जी से सुनें या कथा स्वयं पढ़ें।
11. इसके बाद घर में आकर उसी पंखे से अपने पति को हवा करें तथा उनका आशीर्वाद लें।
12. उसके बाद शाम के वक्त एक बार मीठा भोजन करें और अपने पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करें।