Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(सप्तमी तिथि)
  • तिथि- पौष कृष्ण सप्तमी
  • शुभ समय-9:11 से 12:21, 1:56 से 3:32
  • व्रत/मुहूर्त-श्री रामानुजन ज., राष्ट्रीय गणित दि.
  • राहुकाल- सायं 4:30 से 6:00 बजे तक
webdunia
Advertiesment

स्वामी विवेकानंद शिकागो जाने से पूर्व जब लेने गए मां शारदामणि से इजाजत

हमें फॉलो करें स्वामी विवेकानंद शिकागो जाने से पूर्व जब लेने गए मां शारदामणि से इजाजत

अनिरुद्ध जोशी

शारदा देवी (जन्म- 22 सितंबर, 1853, मृत्यु- 20 जुलाई, 1920) रामकृष्ण परमहंस की जीवन संगिनी थीं। रामकृष्ण परमहंस ने शारदा देवी को आध्यात्मिक ज्ञान दिया और देवी शारदा बाद में मां शारदा बन गईं। 1888 ई. में परमहंस के निधन के बाद उनके रिक्त स्थान पर उन्होंने की आश्रम का कामकाज संभाला।
 
 
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी सन्‌ 1863 को हुआ। 4 जुलाई सन्‌ 1902 को उन्होंने देह त्याग किया।
 
1888 में रामकृष्ण के निधन के बाद स्वामी विवेकानंद ने गुरु की शिक्षा अनुसार अपने जीवन एवं कार्यों को नया मोड़ देना प्रारंभ किया। 25 वर्ष की अवस्था में उन्होंने गेरुआ वस्त्र पहन लिया। तत्पश्चात उन्होंने पैदल ही पूरे भारतवर्ष की यात्रा की। गरीब, निर्धन और सामाजिक बुराई से ग्रस्त देश के हालात देखकर दुःख और दुविधा में रहे। उसी दौरान उन्हें सूचना मिली कि शिकागो में विश्व धर्म सम्मेलन आयोजित होने जा रहा है।
 
 
स्वामीजी को शिकागो जाना था। श्रीरामकृष्ण परमहंस की पत्नी मां शारदामणि मुखोपाध्याय से वह विदेश जाने की इजाजत मांगने के लिए गए, क्योंकि उनकी इजाजत के बगैर वह कोई भी कार्य नहीं करते थे।
 
कहते हैं कि उस समय शारदामणि किचन में कुछ कार्य कर रही थीं। विवेकानंद ने उनके समक्ष उपस्थित होकर कहा कि मैं विदेश जाना चाहता हूं। आपसे इसकी इजाजत लेने आया हूं। माता ने कहा कि यदि मैं इजाजत नहीं दूंगी तो क्या तुम नहीं जाओगे? यह सुनकर विवेकानंद कुछ नहीं बोले।
 
 
तब शारदामणि ने इशारे से कहा कि अच्‍छा एक काम करो वो सामने चाकू रखा है, जरा मुझे दे दो। सब्जी काटना है। विवेकानंद ने चाकू उठाया और उन्हें दे दिया। तभी माता ने कहा कि तुमने मेरा यह काम किया है इसलिए तुम विदेश जा सकते हो। विवेकानंद को कुछ समझ में नहीं आया। तब माता ने कहा कि यदि तुम चाकू को उसकी नोक के बजाए मूठ से उठाकर देते तो मुझे अच्छा नहीं लगता लेकिन तुमने उसकी नोक पकड़ी और फिर मुझे दिया। मैं समझती हूं कि तुम मन, वचन और कर्म से किसी का बुरा नहीं करोगे इसलिए तुम जा सकते हो।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Pongal Festival 2021 : पोंगल का रोचक इतिहास और पौराणिक कथा, यहां पढ़ें