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Valmiki Jayanti 2025: महर्षि वाल्मीकि जयंती पर क्या है प्रभु श्रीराम की पूजा का महत्व, जानिए कैसे करें पूजा

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WD Feature Desk

, सोमवार, 6 अक्टूबर 2025 (15:54 IST)
Valmiki Jayanti Pooja Vidhi: भारत के आदि कवि और महाकाव्य 'रामायण' के रचयिता महर्षि वाल्मीकि की जयंती आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि पर मनाई जाती है। यह पर्व महर्षि के तप, ज्ञान और महान साहित्यिक योगदान का सम्मान करता है। महर्षि वाल्मीकि जयंती के दिन उनके आराध्य प्रभु श्रीराम की पूजा का विधान है। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वाल्मीकि जयंती पर भगवान श्रीराम की विधिवत पूजा करने से घर में सुख और शांति बनी रहती है।  साथ ही घर में बरकत आती है। आइए जानते हैं कि इस दिन किस विधि से भगवान राम की पूजा करनी चाहिए।  

कब है महर्षि वाल्मीकि जयंती 2025?
हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन पूर्णिमा तिथि दो दिन तक रहेगी:
  • पूर्णिमा तिथि का आरंभ: 6 अक्टूबर 2025, दोपहर 12:24 बजे
  • पूर्णिमा तिथि की समाप्ति: 7 अक्टूबर 2025, सुबह 9:17 बजे
चूंकि पूर्णिमा तिथि का उदय और समापन दो अलग-अलग दिनों में हो रहा है, इसलिए शरद पूर्णिमा का व्रत 6 अक्टूबर को रखा जाएगा, जबकि महर्षि वाल्मीकि जयंती 7 अक्टूबर 2025 (मंगलवार) को मनाई जाएगी।

वाल्मीकि जयंती पर श्रीराम की पूजा का महत्व: महर्षि वाल्मीकि ने अपनी कठिन तपस्या और भगवान नारद से मिले 'राम' नाम के जाप के बल पर ही डाकू रत्नाकर से महर्षि वाल्मीकि बनने तक का सफर तय किया। उन्होंने श्रीराम के पूरे जीवन चरित्र को संस्कृत के पहले महाकाव्य 'रामायण' के रूप में लिखा। यही कारण है कि उनकी जयंती के अवसर पर उनके द्वारा रचित महाकाव्य के नायक भगवान श्रीराम की विधिवत पूजा का विशेष महत्व है: 
  • ज्ञान और सत्य का आशीर्वाद: भगवान राम धर्म, मर्यादा और सत्य के प्रतीक हैं, जबकि महर्षि वाल्मीकि ज्ञान और वैराग्य के। इस दिन श्रीराम की पूजा करने से भक्तों को सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है और मानसिक शांति प्राप्त होती है। 
  • सुख-शांति और बरकत: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महर्षि वाल्मीकि जयंती पर विधि-विधान से भगवान श्रीराम की पूजा करने और रामायण का पाठ करने से घर में सुख और शांति बनी रहती है। साथ ही, घर में बरकत आती है और धन-धान्य की कमी नहीं होती। 
  • कर्म का संदेश: महर्षि वाल्मीकि का जीवन एक डाकू से आदि कवि बनने तक का उदाहरण है, जो यह संदेश देता है कि कोई भी व्यक्ति अपने कर्मों और प्रायश्चित के माध्यम से महानता हासिल कर सकता है। श्रीराम की पूजा हमें सद्कर्म करने की प्रेरणा देती है।
 
महर्षि वाल्मीकि जयंती पर कैसे करें श्रीराम की पूजा?
वाल्मीकि जयंती के दिन श्रीराम की पूजा निम्न विधि से करनी चाहिए:
  • शुद्धि और स्थापना: सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें। घर के मंदिर को साफ कर, एक लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान श्रीराम की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। मूर्ति को गंगाजल से शुद्ध करें। 
  • श्रृंगार और पूजन: भगवान राम को पीले वस्त्र पहनाएं। चंदन, रोली, फूल, तुलसी दल और अक्षत से उनकी पूजा करें। 
  • दीप और भोग: घी का दीपक जलाएं। भोग के लिए मिठाई, केसर-भात (केसर युक्त चावल), खीर और पंचामृत अर्पित करें। 
  • पाठ और जाप: इस दिन रामायण या रामचरितमानस के किसी कांड या चौपाई का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है। भगवान राम के मंत्रों जैसे 'ॐ रामाय नमः' का जाप भी करना चाहिए। 
  • आरती और दान: अंत में भगवान श्रीराम की आरती कर पूजा का समापन करें। इस दिन जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या धन का दान करना महर्षि वाल्मीकि को सच्ची श्रद्धांजलि मानी जाती है।
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