ramdev jayanti 2025: भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की दूज को राजस्थान के महान संतों में से एक बाबा रामदेव (1352-1385) का जन्म हुआ था। जिन्हें रामापीर या बाबा रामदेव भी कहते हैं उनकी जयंती मनाई जाती है। राजस्थान के पांच महान संतोंमें से एक बाबा रामदेवजी एक सिद्ध और चमत्कारी संत थे। उन्हें द्वारिकाधीश का अवतार भी माना जाता है। सबसे ज्यादा चमत्कारिक और सिद्ध पुरुषों में इनकी गणना की जाती है। उन्होंने रुणिचा में जीवित समाधि ले ली थी। आओ जानते हैं कि मु्स्लिम भी उन्हें क्यों पूजते हैं।
पांच पीर: स्थानीय जनश्रुति के आधार पर कहा जाता है कि मक्का के मौलवियों और पीरों ने जब इनकी चर्चा सुनी तो फिर मक्का के पांच चमत्कारिक पीर भी बाबा की शक्ति को परखने के लिए उत्सुक हो गए। कुछ दिनों में वे पीर मक्का से चलकर रुणिचा के रास्ते पर जा पहुंचे। रामदेवजी ने उनकी आवभगत की और भोजन के लिए थाली परोसी तो उन पीरों ने कहा कि हम तो अपनी ही कटोरे में खाते हैं जो हम मक्का में भूल आएं हैं। आप यदि मक्का से वे कटोरे मंगवा सकते हैं तो मंगवा दीजिए, वर्ना हम आपके यहां भोजन नहीं कर सकते। इसके साथ ही बाबा ने अलौकिक चमत्कार दिखाया और जिस पीर का जो कटोरा था उसके सम्मुख रखा गया। तब उन पीरों ने कहा कि आप तो पीरों के पीर हैं।
पीरों के पीर : पीरों के पीर रामापीर, बाबाओं के बाबा रामदेव बाबा को सभी भक्त बाबारी कहते हैं। जहां भारत ने परमाणु विस्फोट किया था, वे वहां के शासक थे। हिन्दू उन्हें रामदेवजी और मुस्लिम उन्हें रामसा पीर कहते हैं।
दलितों के मसीहा: बाबा रामदेव ने छुआछूत के खिलाफ कार्य कर दलित हिन्दुओं का पक्ष ही नहीं लिया बल्कि उन्होंने हिन्दू और मुस्लिमों के बीच एकता और भाईचारे को बढ़ाकर शांति से रहने की शिक्षा भी दी। बाबा के भक्तों में अधिकतर दलित लोग ही थे। बाबा रामदेव पोकरण के शासक भी रहे, लेकिन उन्होंने राजा बनकर नहीं अपितु जनसेवक बनकर गरीबों, दलितों, असाध्य रोगग्रस्त रोगियों व जरूरतमंदों की सेवा भी की। इस बीच उन्होंने विदेशी आक्रांताओं से लोहा भी लिया।