Who is Nostradamus: भारत के ऋषियों-मुनियों की तरह ही विदेशों में वहां के स्थानीय पैगम्बर या फ़कीर भविष्यवाणियां करने के लिए भी जाने जाते थे। 16वीं सदी के फ्रांस में एक ऐसा ही व्यक्ति रहता था। अपनी भविष्यवाणियों के कारण वह इतना प्रसिद्ध हुआ कि आज भी पूरी दुनिया में उसके नाम की तूती बोलती है। उनका मूल फ्रांसीसी नाम मिशेल दे नोस्त्रेदाम था, पर वह प्रसिद्ध हो गया लैटिन भाषा में लिखे जाने वाले अपने नाम नास्त्रेदमस से। फ्रांसीसी भी अब उन्हें इसी नाम से पुकारते हैं।
हर नए वर्ष के आरंभ में नास्त्रेदमस को ज़रूर याद किया जाता है। उनकी भविष्यवाणियों के उदाहरण पेश किये जाते हैं। आभास दिया जाता है कि हिटलर से लेकर कोरोना वायरस तक, या अमेरिकी राष्ट्रपति केनेडी की हत्या से लेकर वहां अलकायदा के आतंकवादियों द्वारा हवाई हमलों तक ऐसा कुछ भी नहीं है, जिसके बारे में नास्त्रेदमस ने कोई भविष्यवाणी नहीं की रही हो।
जापान में भूकंप हमने अभी-अभी वर्ष 2024 में पैर रखा है। 2024 के पहले ही दिन जापान को 7.6 की शक्ति वाले एक भीषण भूकंप ने झकझोर कर रख दिया और 60 से अधिक प्राणों की बलि लेली। नास्त्रेदमस के प्रशंसकों की मानें, तो उनकी पुस्तक में इसकी भी भविष्यवाणी मिलती है। इसमें लिखा है, कि सूखी हुई धरती और अधिक सूख जायेगी और भारी बाढ़ आएगी।... जापान में आए भूकंप से उसके पश्चिमी तट पर सुनामी के रूप में बाढ़ भी आई।
नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियों वाली पुस्तक में एक जगह यह भी लिखा बताया जाता है कि एक द्वीप देश के राजा को बलपूर्वक हटा दिया जायेगा। तो क्या यह ब्रिटेन के राजा चार्ल्स तृतीय के बारे में भविष्यवाणी है? यह भी कहा जा रहा है कि 2024 में ईसाई जगत को नया पोप मिलेगा। वर्तमान पोप 80 साल से अधिक के हैं। उनका स्वास्थ्य भी बहुत अच्छा नहीं चल रहा है, इसलिए इस अनुमान को पूरी तरह खारिज नहीं किया जा सकता।
नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियों में वैश्विक अशांतियों, सागरों-महासागरों पर युद्धों, मानवीय आपदाओं और भाग्य के साथ खिलवाड़ जैसी बातों के उल्लेख मिलते हैं। प्रलय की तरह दुनिया के अंत की भी कई भविष्यवाणियां मिलती हैं, हालांकि दुनिया तो अब भी है। नास्त्रेदमस ने बहुत कुछ लिखा है। हर चीज़ दो टूक और स्पष्ट हो, ऐसा भी नहीं है। अर्थ लगाना पड़ता है।
चीन विस्तारवादी बनेगा : एक ऐसी ही भविष्यवाणी का यह अर्थ लगया जा रहा है कि नास्त्रेदमस को 16वीं सदी में ही पता चल गया था चीन एक विस्तारवादी शक्ति बनेगा। अन्य शक्तियों को पीछे छोड़ कर दुनिया पर अपना वर्चस्व थोपना चाहेगा। चिकित्सा के क्षेत्र में क्रांतिकारी प्रगति होगी। अंग प्रतिरोपण होंगे। कुछ लोग तो यहां तक मानते हैं कि नास्त्रेदमस को कृत्रिम बुद्धि (AI) के उद्भव का भी आभास हो गया था। पर क्या उसे भारत के विश्व-गुरु बनने की संभावनाओं का भी कोई आभास था? शायद नहीं, क्योंकि गुरु-शिष्य परंपरा तो भारत में भी अब शायद ही कहीं मिलती है।
नास्त्रेदमस का जन्म हुआ था: 14 दिसंबर, 1503 को दक्षिणी फ्रांस के सौं-रेमी-दे प्रोवेंस में। उन्हें मिलाकर उनके माता-पिता के कुल 9 बच्चे थे। परिवार वैसे तो मूलतः एक यहूदी परिवार था, पर पास-पड़ोस के ईसाइयों के साथ धार्मिक तनाव के कारण नास्त्रेदमस के पितामह को कैथोलिक ईसाई बनना पड़ा। बड़ा होने पर नास्त्रेदमस ने एक दुकानदार के रूप में अपने जीवन की शुरुआत की। कुछ समय बाद शादी की और वैद्य-हकीमी का काम सीखा। अपनी एक फार्मेसी भी खोली। बीमारों के उपचार के साथ-साथ जड़ी-बूटियों वाली दवाएं और मिठाइयां भी बेचीं।
ज्योतिष विद्या में रुचि थीः नास्त्रेदमस को ज्योतिष विद्या में भी काफी रुचि थी। लेकिन, जहां तक उनकी भविष्यवाणियों की बात है, तो इसकी शुरुआत के पीछे एक बहुत दुखद कारण बताया जाता है। कहा जाता है कि 16वीं सदी के फ्रांस में एक बार प्लेग की महामारी इस बुरी तरह फैली कि नास्त्रेदमस की पत्नी और सभी बच्चे भी उसकी भेंट चढ़ गए। इस आपदा ने नास्त्रेदमस को भविष्य के बारे में सोच-विचार करने और अपनी बात भविष्यवाणियों के रूप में कहने की प्रेरणा दी। भविष्यवाणियों को उन्होंने छंद-रूप में लिखा और साथ-साथ पूरे यूरोप की यात्रा भी की। प्लेग के कारण अपने परिवार को खोने के बाद, नास्त्रेदमस ने एक विधवा से विवाह किया, जिससे कुल छह बच्चे हुए।
नास्त्रेदमस को तो दुनिया के बारे में बहुत कुछ पता था, पर दुनिया को उनके बारे में आज भी बहुत कम पता है। समझा जाता है कि उन्होंने एक दशक से भी अधिक समय तक अपने समय के कथित गूढ़-ज्ञान को जानने-समझने और तत्कालीन यहूदी रहस्यवाद से लेकर ज्योतिषीय विधाओं तक का अनुभव पाने पर काम किया। 1555 में फ्रेंच भाषा में लेस प्रोफ़ेतीस (भविष्यवाणियां) नाम की पुस्तक लिखी, जो उनकी पहली 942 भविष्यवाणियों का छंद रूपी संग्रह थी। पुस्तक ने नास्त्रेदमस को इतना प्रसिद्ध कर दिया कि उन्हें फ्रांसीसी राजदरबार में नियुक्ति मिल गई।
प्रिंटिंग प्रेस का योगदान : प्रिंटिंग प्रेस, यानी छपाई मशीन का भी लगभग उसी समय आविष्कार हुआ था। प्रिंटिंग प्रेस की बदौलत नास्त्रेदमस का काम जंगल में लगी आग जैसी तेज़ी से फैला। अपने पूर्ववर्तियों के विपरीत, जो अपनी भविष्यवाणियों को केवल मौखिक तौर पर या पैम्फलेट के रूप में प्रचारित करते थे, नास्त्रेदमस को नई मुद्रण तकनीक की सहायता से अपनी बात अधिक से अधिक लोगों तक और दूर-दूर तक पहुंचाने में बहुत आसानी हुई। ज्योतिष विद्या और भविष्यवाणी उस समय यूरोप में बहुत लोकप्रिय विषय हुआ करते थे। इससे नास्त्रेदमस की पुस्तक उस समय की सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली पुस्तकों में से एक बन गई।
कहा जाता है कि पाठक, नोस्त्रादाम्युस की अनूठी लेखन शैली पर मुग्ध थे। पाठकों को लगता था मानो नोस्त्रादाम्युस जो कहना चाहते हैं, वह सीधे उनके दिमाग को छू रहा है। वे पुरानी फ्रेंच भाषा की छंदबद्ध पंक्तियों वाली चौपाई के रूप में अपनी बात कहते थे। सौ-सौ चौपाइयों का एक समूह होता था। फ्रेंच के अलावा ग्रीक और लैटिन सहित कुल 4 भाषाओं में लिखते थे।
कोई तारीख नहीं बताते थेः नास्त्रेदमस ने अपनी भविष्यवाणियों में किसी घटना की कभी कोई निश्चित तारीख नहीं बतायी। कोई तारीख नहीं होने से भविष्यवाणियां हमेशा अटकलबाज़ी और अनुमान का विषय रही हैं। उनकी हमेशा कुछ इस तरह से व्याख्या की जा सकती है कि "लगा तो तीर, नहीं तो तुक्का" के समान वे कई प्रकार की नाटकीय घटनाओं पर अधिकतर फिट बैठ सकती हैं। नास्त्रेदमस ने मुख्य रूप से भूकंप, अकाल, बीमारियों और युद्ध जैसी आपदाओं के बारे में लिखा है। उनके जीवनकाल के दौरान ऐसी ही बातों में लोगों की भारी रुचि होती थी, भले ही उनकी भविष्यवाणियां सरल या दो टूक स्पष्टता वाली नहीं होती थीं।
एक इतालवी राजघराने से आई कतरीना दे मेदिची 1547 से 1559 तक फ्रांस के राजा की रानी थी। कहा जाता है कि वह बहुत अंधविश्वासी भी थी। नास्त्रेदमस की पुस्तक पढ़ कर वह इतनी प्रभावित हुई कि उन्हें राजदरबारी लेखक बनवा दिया। लेकिन वह अपने पति, फ्रांस के राजा हेनरी द्वितीय की मृत्यु से संबंधित भविष्यवाणी को लेकर बहुत परेशान भी थी। राजा हेनरी द्वितीय की मृत्यु वास्तव में ऐसी पहली घटना थी, जिसके बारे में नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी सही साबित हुई। नास्त्रेदमस को तीन साल पहले ही राजा हेनरी की मृत्यु का पूर्वाभास हो गया था।
पहली सही भविष्यवाणी: राजा हेनरी द्वितीय की वह बहुत दर्दनाक मृत्यु 10 जुलाई 1559 को हुई थी। उन्हें एक प्रतिस्पर्धा में अपने प्रतिस्पर्धी के भाले के प्रहार से बचना था। लेकिन, प्रतिस्पर्धी के भाले ने उनके सिर पर की हेलमेट को ही नहीं, आंखों और गर्दन को भी छेद दिया। 10 दिनों तक मौत से जूझने के बाद हेनरी द्वितीय ने अंतिम सांस ली। इस दुखद घटना की पहले ही कर दी गई भविष्यवाणी ने, आम लोगों के मन में, नास्त्रेदमस का स्थान सदियों के लिए एक ऐसे सिद्ध पुरुष जैसा बना दिया, जो महत्वपूर्ण घटनाओं की सटीक भविष्यवाणी कर सकता है।
दूसरी ओर, नास्त्रेदमस की यहूदी पृष्ठभूमि के कारण उन्हें अपने ऊपर जादू-टोने करने के आरोप लगाए जाने का डर सताया करता था। फ्रांसीसी राजशाही और ईसाई चर्च, दोनों की ओर से बढ़ती हुई यहूदी-विरोधी भावनाओं के प्रति भी उन्हें सावधान रहना पड़ता था। अधिकारी उन पर नज़र रखते थे। उन्हें मृत्युदंड भी मिल सकता था। इन सब कारणों से नास्त्रेदमस अपनी अधिकांश भविष्यवाणियां सरल भाषा के बदले छंदबद्ध कोड भाषा में लिखा करते थे। तब से अब तक पाँच सदियां बीत चुकी हैं। इसलिए भी उनकी हर कोड शब्दावली का सही अर्थ निकालना आसान नहीं है।
साहित्यिक चोरी का आरोपः नास्त्रेदमस के जीवनकाल वाली 16वीं सदी में लेखकों-कवियों द्वारा दूसरों की लिखी बातों की नकल करना या उन्हें अपनी बताना, सामान्य बात हुआ करती थी। उन पर भी इस प्रकार की चोरी के आरोप लगे। कहा गया कि उन्होंने "मिराबिलिस लिबर" नाम के 1622 के एक संग्रह से, जिसमें बाइबल से लिये गये 24 उद्धरण हैं, भविष्यवाणियां उठाई हैं। प्रशंसक तब भी यही मानते हैं कि नास्त्रेदमस ने दुनिया की हर बड़ी घटना की भविष्यवाणी कर रखी है।
यहां तक कि अमेरिका के 35वें राष्ट्रपति जॉन एफ़ कैनेडी की 22 नवंबर, 1963 को डलास में हुई हत्या को भी नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी का एक उदाहरण बताया जाता है। दूसरी ओर, स्पेनी-फ्रांसीसी फ़ैशन डिज़ाइनर पाको राबोन 1999 में पेरिस में एक शो करना चाहता था। लेकिन जब उसे पता चला कि नास्त्रेदमस ने उस साल जुलाई में दुनिया के अंत की भविष्यवाणी कर रखी है, तो उसने अपना शो रद्द कर दिया। तब से ढाई दशक बीत गए हैं और दुनिया अब भी पूर्ववत है।
ध्यानी नास्त्रेदमस: कहा जाता है कि नास्त्रेदमस को भविष्य का पूर्वाभास ध्यान जैसी अवस्था में हुआ करता था। इसके लिए वे एक गहरे कटोरे में पानी लेकर अपने कमरे में बैठ जाते थे और अपना सारा ध्यान पानी को देखने पर केंद्रित करते थे। समय के साथ वह क्षण आता था, जब वे अपने आप को भूल कर अपने मन-मस्तिष्क में कुछ देखते या अनुभव करते थे। जैसे ही उन्हें कोई परिदृश्य दिखता था, अपने अंतर्ज्ञान द्वारा वे उसका अर्थ बूझते और उसे कबाला और ज्योतिष विद्या जैसी तांत्रिक विधियों की सहायता से कोडबद्ध करते थे। उनकी भविष्यवाणियां इसलिए इतनी सहज नहीं होती थीं कि हर कोई उनकी सही व्यख्या कर सके।
नास्त्रेदमस स्वयं गठिया रोग (अर्थराइटिस) के मरीज थे। आयु बढ़ने के साथ चलने-फिरने में उन्हें बहुत कष्ट होने लगा था। उन्होंने अपना अंत भी भांप लिया था। 1566 में जब वे 62 वर्ष के थे, तब अपनी मृत्यु से पहले वाली रात को अपने सचिव से उन्होंने कहा, कि कल सूर्योदय होने से पहले मैं यहां नहीं रह जाउंगा।... अगली सुबह वे अपने बिस्तर में सचमुच चिरनिद्रा में सुप्त मिले।