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वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स-लंदन में शामिल आकाशवाणी का सर्वभाषा कवि सम्मेलन

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इंदौर की धरती पर एक साथ 22 भाषाओं की कविताएं, खूबसूरत अनुवाद के साथ जब प्रस्तुत हुई तो इंदौर बना एक अनूठे रिकॉर्ड का साक्षी। आकाशवाणी महानिदेशालय (भारत सरकार) द्वारा आकाशवाणी केंद्र, इंदौर के तत्वाधान में एक मंच पर 22 भाषाओं में सर्वभाषा कवि सम्मेलन संपन्न हुआ। भारत सरकार द्वारा किए गए इस अनूठे ऐतिहासिक आयोजन को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया। 
 
यह अपने आप में विलक्षण अनुभव था कि हर भाषा की अविरल काव्य धारा मंच से बहती गई और हिन्दी का हाथ थामे उपस्थित दर्शकों के दिलों को भीगो गई। कविता आत्मा की कोमलतम अभिव्यक्ति होती है। भाषा माध्यम होती है कविताओं का भाव पाठकों और श्रोताओं तक पहुंचाने का, लेकिन मन की खिड़कियां खुली हो तो भाषा कोई भी हो कविता भीतर बहने लगती है। इस अनोखे समागम में यूं भी हुआ कि कभी मूल कविता मंच से आई तो तालियां थमी नहीं और जब अनुवाद सामने आया तो बात जमी नहीं.. और कभी यूं भी हुआ कि मूल कविता का एक भी शब्द अपरिचित रहा तब भी कवि के सम्मान में भावों को समझने की गंभीर कोशिश होती रही और जब अनुवाद सामने आया तो मन शब्द संयोजन, विचार, विषय, कल्पना और शैली पर बरबस ही वाह वाह कर उठा। 
 
आयोजन का स्वरूप इतनी सुघड़ता से गुंथा गया था कि संस्कृत से आरंभ होकर हिन्दी पर आकर थमा। सवाल आया कि हिन्दी अंत में क्यों, तो मंच से आकाशवाणी के अतिरिक्त महानिदेशक राजशेखर व्यास का भावुक उत्तर था, क्योंकि मां सबसे अंत में खाना खाती है और हिन्दी हमारी मां है। 
 
कार्यक्रम में अकारादि क्रम से भाषाओं को संजोया गया और सभी कवियों को उसी क्रम से बुलाया गया। 
 
सबसे पहले डॉ. सुरचना त्रिवेदी ने संस्कृत की कविता मुखरित की तो रोम-रोम राष्ट्र की सुंदर स्वर वंदना पर खिल उठा। इस कविता का अनुवाद विनोद शंकर पांडेय ने प्रस्तुत किया। इसी तरह हर कवि आते गए और उनके भावों को हिन्दी के माध्यम से देश के विविध राज्यों से आए अनुवादक कवि प्रस्तुत करते गए। कविता के अनुवाद पर बजने वाली ताली की चमक मूल कवि की आंखों में पढ़ना एक संवेदनशील अनुभव था जिसे व्यक्त करना मुश्किल है।
 
इंदौर के ब्रिलिएंट कन्वेंशन सेंटर में आकाशवाणी निदेशालय द्वारा आयोजित इस सर्वभाषा कवि सम्मेलन में अनुभूतियां थी, अभिव्यक्तियां थी, स्वर थे, अभिव्यंजनाएं थी, समस्याएं थीं तो समाधान भी थे, कहीं गहरी बात थी कहीं चूभते सवाल थे। कभी देश था, कभी माटी थी, कभी लहलहाते खेत थे तो कभी मन को कोमल अभिस्पर्श देती लाल तितली थी। काव्य के इतने-इतने भाव और कहन के इतने-इतने ढंग कि मन अभिभूत सा बंधता चला गया।      
 
मुख्य बात यह कि इस आयोजन की रिकॉर्डिंग का प्रसारण आकाशवाणी के राष्ट्रीय नेटवर्क पर गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर रात्रि 9:30 बजे किया जाएगा और उससे भी प्रभावशाली बात यह कि हर प्रदेश में वह अपनी भाषा में सुना और समझा जाएगा। 
 
इस कवि सम्मेलन को लंदन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया। कार्यक्रम के समापन पर असम के पूर्व न्यायाधीश रमेश गर्ग ने संस्था की ओर से आकाशवाणी के अतिरिक्त महानिदेशक राजशेखर व्यास को यह प्रमाण-पत्र प्रदान किया। इस अवसर पर आकाशवाणी इंदौर के कार्यक्रम प्रमुख विश्वास केलकर सहित कार्यक्रम अधिकारी उमेश कुलकर्णी, ब्रह्मप्रकाश चतुर्वेदी आदि उपस्थित थे। संचालन संजीव मालवीय और सुधा शर्मा ने किया। वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकार्ड्स के संरक्षक श्री वीरेंद्र शर्मा(सांसद-ब्रिटिश पार्लियामेंट), डॉ. दिवाकर सुकुल( चेयरमैन-वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स-लंदन) ने ऑल इंडिया रेडियो को इस सुनहरी उपलब्धि पर शुभकामनाएं दीं। 
 
कवि और अनुवादक कवि की सूची 
 
संस्कृत - डॉ. सुरचना त्रिवेदी, अनुवाद- डॉ. विनोद शंकर पांडेय 
असमिया -मृदुल होलोई, अनुवाद-‍निशा गुप्ता
उड़िया - ह्रषिकेश मलिक-, अनुवाद-हेमंत कुकरेती 
उर्दू - अज़हर अली इनायती 
कन्नड़ - तेजश्री जेएन,अनुवाद-डॉ.भावना शेखर 
कोंकणी -विंसी काद्रुस, अनुवाद- डॉ.प्रज्ञा तिवारी
कश्मीरी - मिशल सुल्तान, अनुवाद-सुनीता रैना
गुजराती -अशोक पुरी गोस्वामी, अनुवाद- मीनाक्षी जिजीविषा
डोगरी - पॉमिला मानहास, अनुवाद-चंद्रमणि ब्रह्मदत्त
तमिल - आर तमिलरसी, अनुवाद- ईश्वर झा 
तेलगु - बीआरवी प्रसाद मूर्ति, अनुवाद- अंजीव अंजुम
नेपाली - महेश दहाल, अनुवाद- राम नारायण हलधर
पंजाबी- गुरुचरण सिंह, अनुवाद- तरसैम 
बांग्ला - गौतम बासु, अनुवाद-सुलभा कोरे
बोडो - अंजु नारजरी(अंजलि बासुमतारी)अनुवाद- सुजाता
मणिपुरी- रतन थियाम, अनुवाद- अशोक कश्यप
मैथिली -नारायणजी, अनुवाद- नागापद्मिनी देवी
मलयालम - एल.थॉमस कुट्टी, अनुवाद- चंद्रशेखर आश्री
मराठी - डॉ. शोभा रोकड़े, अनुवाद- ज्योति संघ
सिंधी - नामदेव ताराचंदानी,अनुवाद- संदीप श्रोत्रिय
संथाली - लाल चंद सरेन, अनुवाद- डॉ. राजीव शर्मा
हिन्दी - हरीश चंद्र पांडे
शिवकुमार अर्चन
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