इंदौर। भारतीय कृषि चिंतन में भूमि को धरती माता संबोधित किया है। हमारे प्राचीन ग्रंथों में इसके उदाहरण सहजता से पाए जाते हैं। अथर्वेद के भूमि सूक्त में कहा गया है, माता भूमिः पुत्रो अहं पृथिव्याः, इसका भावार्थ है कि भूमि हमारी माता है एवं हम उसके पुत्र। तात्पर्य, भूमि को पोषण की व्यवस्था करना हमारा कर्तव्य है। इसी परिपेक्ष्य में चलने वाला है भूमि सुपोषण अभियान।
यह जनअभियान गत चार वर्षों से किए जा रहे व्यापक परामर्श का परिणाम है। कृषकों व कृषि वैज्ञानिकों के साथ परामर्शी बैठकें, कृषक अनुभव लेखन कार्यशालाएं, कृषकों के हित में एवं कृषि क्षेत्र में कार्यरत संस्थाओं से परामर्श के उपरांत 2018 में भूमि सुपोषण राष्ट्रीय संगोष्ठी इत्यादि से जन अभियान संकल्पित हुआ है। राष्ट्रीय स्तर पर जन अभियान के संचालन का दायित्व 33 धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं ने मिलकर लिया है।
मालवा प्रांत (इन्दौर-उज्जैन संभाग) में इस अभियान को चलाने हेतु सामाजिक व धार्मिक 15 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है, जिसके संयोजक दयाराम धाकड़ व सहसंयोजक महेंद्र पाटीदार रहेंगे।
भूमि सुपोषण एवं संरक्षण हेतु राष्ट्रीय जन अभियान का प्रारंभ भूमि की पूजन विधि से होगा। यह भूमि पूजन मालवा प्रांत के शासकीय 15 जिलों के ग्रामों एवं नगरों में किया जाएगा। सभी जगहों पर विधिवत भूमि पूजन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के पावन अवसर पर 13 अप्रैल 2021 को होगा।
इस जन अभियान की मुख्य संकल्पना है कि भूमि सुपोषण एवं संरक्षण यह हम सभी भारतीयों का सामूहिक उत्तरदायित्व है। अतः यह जन अभियान ग्रामों, और नगरों में भी कार्यान्वित होगा।
अभियान के प्रथम चरण में भूमि सुपोषण को प्रत्यक्ष साकार करने वाले कृषकों को सम्मानित करना, भूमि सुपोषण की विविध पद्धतियों के प्रयोग आयोजित करना, जो कृषक इस दिशा में बढ़ना चाहेंगे उनको प्रोत्साहित करना, नगर क्षेत्रों में विविध हाउसिंग कॉलोनी में जैविक-अजैविक अपशिष्ट को अलग रखना एवं कॉलोनी के जैविक अपशिष्ट से कंपोस्ट बनाना आदि गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा।
इसके अतिरिक्त सेमीनार, कार्यशाला, कृषक प्रशिक्षण, प्रदर्शनी आदि गतिविधियों का भी आयोजन होगा। भूमि सुपोषण एवं संरक्षण अभियान के लिए राष्ट्रीय मार्गदर्शक मंडल है और संचालन समिति में ऐसे कृषक हैं जो भारतीय कृषि चिंतन एवं भूमि सुपोषण संकल्पना को प्रत्यक्ष धरातल पर क्रियान्वित कर रहे हैं।