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ग्‍लोबल वॉर्मिंग से हेल्‍थ और टेंपरेचर तक, हृदयेश जोशी की आंखें खोल देने वाली रिपोर्ट, स्‍टेट प्रेस क्‍लब में की शिरकत

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, शुक्रवार, 6 जून 2025 (14:36 IST)
पत्रकार और लेखक हृदयेश जोशी इन दिनों पर्यावरण पर जमकर काम कर रहे हैं। ग्राउंड लेवल पर जाकर ग्‍लोबल क्‍लाइमेट से लेकर बढ़ते तापमान और हेल्‍थ से लेकर लोगों की खानपान की शैली तक उन्‍होंने इस कदर स्‍टडी की है कि गुरुवार को जब उन्‍होंने स्‍टेट प्रेस क्‍लब के आयोजन में इस बारे में अपनी बात रखी तो लगा कि इन सारे विषयों के बारे में हम कितना कम जानते हैं।

पर्यावरण, टेंपरेचर, ग्रीनरी, नदी नालों के महत्‍व और देश के हेल्‍थ और एजुकेशन सिस्‍टम को लेकर उन्‍हें न सिर्फ अच्‍छा खासा ज्ञान है बल्‍कि इस बारे में जब वे बोले तो लगा कि बेहद जमीनी स्‍तर पर जाकर उन्‍होंने डेटा एकत्र किया है। 5 जून को पर्यावरण दिवस के मौके पर प्रेस क्‍लब के आयोजन ‘पर्यावरण के बड़े मायने’ विषय पर वे लोगों से संवाद कर रहे थे।
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लाइफस्‍टाइल से पर्यावरण को बर्बाद : हृदयेश जोशी ने कहा कि लोगों का स्वास्‍थ्‍य और कृषि चुनी हुई सरकारों की जिम्मेदारी है कि वे लोगों को सुविधाएं मुहैया कराएं। लगातार बढ़ते तापमान के बारे में उन्‍होंने चेताया कि जो दुनिया में डेढ़ डिग्री तापमान बढ़ने वाला है वो इस आंकडे के बाद बेहद तेजी से बढ़ेगा। दुनिया में खासकर भारत में आबादी लगातार बढ़ रही है। लोगों के एक घर में चार- चार कारें हैं। लोग अपनी लाइफस्‍टाइल से पर्यावरण को बर्बाद कर रहे हैं।

85 प्रतिशत देश ग्‍लोबल वार्मिंग के लिए जिम्‍मेदार : हृदयेश जोशी ने बताया कि दुनिया में 200 देश हैं, लेकिन इनमें से 85 प्रतिशत देश ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार हैं। घर में हर आदमी ज्यादा से ज्यादा एनर्जी कंज्यूम कर रहा है। मोबाइल, लाइट, ऐसी और जाने क्‍या क्‍या हम बेतरतीब तरीके से इस्‍तेमाल कर रहे हैं। हमारी लाइफ स्टाइल हमारी दिक्कत है। हम अपने पर्यावरण के लिए सिर्फ बातें करते हैं। रिपोर्ट है कि 2040 तक नैनीताल और रानीखेत जैसे शहर पूरी तरह से बदल जाएंगे।
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एक दिन में 10 हजार वाहन बिक रहे : लक्‍जरी लाइफ स्‍टाइल के बारे में उन्‍होंने बताया कि करीब 10 साल में एक फ्लाईओवर बनता है, लेकिन एक दिन में 10 हजार गाड़ियां बिक जाती है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह संतुलन कैसे बैठेगा। उन्‍होंने बताया कि फ्लाईओवर विकास का सबसे वीभत्स रूप है, यह कई चीजों के लिए बाधक बनता है। लेकिन हम इसे बनाए जा रहे हैं। उत्तराखंड में हजारों गांव खाली हो रहे हैं, इसकी वजह से एनवायरमेंट खराब हो रहा है।

कंपनियां क्‍यों नहीं आने दे रही पेस्‍टीसाइड एक्‍ट : उन्‍होंने बताया कि मध्यप्रदेश में सबसे अच्छे टाइगर रिज़र्व हैं, लेकिन टाइगर को बचाने के लिए आदिवासी लोगों को टाइगर रिज़र्व से दूर किया जा रहा है। वहीं खाने में लगातार बढते पेस्‍टीसाइड के इस्‍तेमाल को लेकर उन्‍होंने बताया कि पेस्टीसाइड एक्ट को बड़ी कम्पनियां आने नहीं दे रही हैं। इसकी वजह से हम कितनी मात्रा में हर खाद्य में पेस्टीसाइड खा रहे हैं। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की सरकार में भी ये बिल लाया गया, लेकिन पास नहीं हो सका। अब मोदी सरकार में भी लाया गया, लेकिन अभी भी अटका हुआ है। कंपनी के मालिक खुद ऑर्गेनिक खा रहे हैं, लेकिन वे हमको पेस्टीसाइड मिला भोजन खिला रहे हैं। हमसे छोटे देशों में भी ये एक्ट काम कर रहा है, लेकिन हमारे यहां रेगुलेशन इतना कमजोर है कि अब तक हम अपने जहरीले खानपान पर काबू नहीं कर सके।

मेडिकल माफिया लूट रहा : जोशी ने हेल्थ इंश्योरेंस, दूषित भोजन, क्लाइमेट चेंज, स्वास्थ्य, नदियों, बढ़ते तापमान, आंधी तूफान से लेकर कई विषयों पर जानकारी दी और जरूरी सुझाव बताए। आर्सेनिक पानी के चक्कर में बंगाल में कई गांव बर्बाद हो गए हैं। लोग सिलिकोसिस से मर रहे है। सेनेटरी आइटम बनाने वाले मजदूरों के फेफड़ों में दस हजार गुना तेजी से धूल धक्कड़ जा रहा है। यह काम करने वाले मजदूरों को पहले 45 साल की उम्र में सिलिकोसिस बीमारी होती थी, अब मशीनों की मदद से इन आइटम को बनाने वाले 23 साल की उम्र में बहुत पेनफूल डेथ मर रहे हैं। एयर पॉल्यूशन से गर्भवती महिलाओं और पेट में सांस ले रहे बच्चों को बुरी तरह से बीमार कर रहा है। सार्थक संवाद के इस आयोजन में स्‍टेट प्रेस क्‍लब के अध्‍यक्ष प्रवीण खारीवाल समेत शहर के कई गणमान्‍य नागरिक उपस्‍थित थे। संचालन पकंज क्षीरसागर ने किया।   
रिपोर्ट : नवीन रांगियाल, फोटो : धर्मेंद्र सांगले

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