इंदौर। जो लोग आतंकवादी की मानवाधिकार की बात करते हैं, क्या उन्होंने सैनिकों के मानवाधिकारों की बात की है। जो लोग आतंकवादी के मरने पर उनके घर जाकर अफसोस जताते हैं, क्या उन्होंने शहीद के घर जाने की जरूरत समझी, उस सिपाही का मानवाधिकार नहीं है, जिसके ऊपर पाकिस्तान से पैसा लेकर कश्मीरी युवक पत्थर फेंकते हैं। इसलिए मानवाधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की राष्ट्रहित में मर्यादा निश्चित करनी पड़ेगी।
ये विचार रिटायर्ड मेजर गौरव आर्य ने डॉ. हेडगेवार स्मारक समिति द्वारा आयोजित 'स्वतंत्रता बनाम स्वच्छंदता' विषय पर प्रेस्टीज इंजीनियरिंग कॉलेज में आयोजित व्याख्यानमाला में मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त किए। मेजर आर्य ने कहा कि मानवाधिकार एवं अभिव्यक्ति की आजादी भारत के संविधान द्वारा संरक्षित है, पर संविधान की रक्षा कौन करता है? जो संविधान की रक्षा करता है उसके मानवाधिकारों का क्या? उसकी अभिव्यक्ति की आजादी का क्या?
मेजर आर्य ने कहा कि उस सिपाही का मानवाधिकार नहीं है, जिसके ऊपर पाकिस्तान से पैसा लेकर कश्मीरी युवक पत्थर फेंकते हैं। इसलिए मानवाधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की राष्ट्रहित में मर्यादा निश्चित करनी पड़ेगी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्ध उद्योगति श्वेतांक श्रीमाल ने की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विजय एकेडमी के विजय सिंह यादव थे। कार्यक्रम में स्मारक समिति के अध्यक्ष ईश्वरदास हिन्दूजा एवं बद्रीनाथ जिले के संघचालक प्रेमजी सोनी सहित समाज के 1000 से अधिक प्रबुध्दजन, उद्योगपति, डॉक्टर, वकील एवं समाजसेवी उपस्थित थे।
कार्यक्रम में स्वागत एवं अतिथि परिचय मुकेश कुमावत ने किया। प्रस्तावना विनोद गुर्जर ने रखी। प्रारंभ में व्यक्तिगत गीत धात्री त्रिपाठी ने और वंदे मातरम श्रीमती वर्मा ने प्रस्तुत किया। संचालन देवेन्द्र दुबके ने किया। आभार प्रदर्शन राजाराम यादव ने किया।