इंदौर। मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात में आसमान में रहस्यमयी नजारा दिखाई दिया। आसमान से गिरते आग के गोलों को देख लोग हैरान हो गए। इसे लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे। इस नजारे के फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुए।
मालवा-निमाड़ इलाके में रात करीब 8 बजे लोगों ने आसमान से उल्कापिंड जैसी वस्तु गिरते देख लोग हैरान हो गए। इंदौर, धार, खंडवा सहित अन्य इलाकों में लोगों ने इसे नीचे गिरते हुए देखा। कुछ लोगों ने इसके वीडियो भी बनाए जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुए।
मध्यप्रदेश के धार, उज्जैन, सेंधवा, खरगोन और भोपाल में भी यह नजारा देखा गया। आसमान में दिख रहे आग के गोलों को लेकर कई तरह बातें सामने आने लगीं। गुजरात में भी आसमान में यह दृश्य देखा गया। महाराष्ट्र के नागपुर और राज्य के कई अन्य हिस्सों के आसमान में उल्का बौछार देखी गई।
लोगों में इस बात की अफवाह भी उड़ी कि कहीं ये छोटे विमान तो नहीं। मध्यप्रदेश के महू के पास ग्राम कोदरिया में रहने वाले विवेक शर्मा ने वेबदुनिया को बताया कि वे शाम करीब 7.50 बजे छत पर टहल रहे थे कि अचानक उन्हें प्रकाश दिखाई दिया।
शर्मा के मुताबिक दो आग के गोले की तरह दिखाई दे रहे थे जिनकी पीछे प्रकाश की एक बड़ी-सी पूंछ भी थी, जो जमीन पर आते-आते बड़ी लकीर की तरह दिखाई दे रही थी। विवेक शर्मा ने बताया कि जब उन्होंने यह नजारा देखा तो अन्य लोगों को भी बताया जो छत पर मौजूद थे।
अपने कैमरे में भी उन्हें यह पूरा दृश्य कैद किया। हालांकि विवेक शर्मा ने सोशल मीडिया पर चल रही इन बातों को सिर्फ अफवाह बताया कि वे विमान थे। उन्होंने कहा कि अगर विमान होते तो नीचे जमीन पर आते-आते उनमें किसी तरह का विस्फोट दिखाई देता।
क्या बोले वेधशाला के अधिकारी?: शासकीय जीवाजी वेधशाला उज्जैन के अधीक्षक डॉ. राजेन्द्र गुप्त ने फोन पर बताया कि मेरे पास भी ये वीडियो आए हैं। यह एक सामान्य घटना थी जिसमें संभवतः उल्कापिंड शामिल थे। इन्हें देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि यह उल्कापिंड ही है। यह सामान्य तौर पर गिरते रहते हैं।
क्या होते हैं उल्कापिंड : उल्कापिंड पुच्छल तारे के रूप में होते है। ये जब गिरते हैं तो इनकी चमक इतनी अधिक होती है कि 200 से 300 किलोमीटर के दायरे के लोग भी आसमान में इसे देखा जा सकता है। छोटे-छोटे उल्कापिंड की उम्र 100 साल या उसके आसपास होती है।
ये सौर मंडल में चक्कर लगाते हुए किसी भी ग्रह के वायुमंडल में प्रवेश कर जाते हैं। इसी तरह ये पृथ्वी के वायुमंडल में जब आते है तो वायुमंडल की अधिक सघनता के कारण घर्षण से जल जाते हैं। इस तरह यह जलकर धरती पर गिर जाते हैं। इनके गिरने से बड़ा सा गड्ढा भी बन जाता है।