14 मार्च से 20 मार्च 2019 तक रंग बनाने का प्रशिक्षण कार्यक्रम
जिम्मी मगिलिगन सेंटर, ग्राम सनावदिया पर पिछले 7 वर्षों से होली के लिए प्राकृतिक रंग बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उसी श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए इस वर्ष भी यह रंगबिरंगा आयोजन संपन्न होने जा रहा है।
पर्यावरण के प्रति स्वयं सजग रहने वाली और समाज को निरंतर सचेत करने वाली पद्मश्री डॉ. जनक पलटा मगिलिगन, डायरेक्टर, जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट, ग्राम सनावदिया ने बताया कि रंगों से सराबोर यह आयोजन पूरे सप्ताह चलेगा। 14 मार्च से 20 मार्च 2019 तक प्रतिदिन प्रात: 10 बजे से 1 बजे के दौरान प्रकृति का यह रंगारंग प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न होगा।
ग्राम सनावदिया में होने वाला यह आयोजन मुख्य रूप से उन लोगों के लिए है जो इन्हें बनाकर अपना उद्योग चलाना चाहते हैं साथ ही जो लोग प्रकृति के रंगों की कीमत जानते हैं कि इनसे त्वचा रोग, श्वसन रोग और दिल के रोगों से बचा जा सकता है,उनके लिए भी यह आयोजन है। बाजार में उपलब्ध केमिकलयुक्त रंगों से इन बीमारियों के खतरे बढ़ जाते हैं।
इस होली महोत्सव में प्राकृतिक रंग बनाने के लिए डॉ. जनक तो प्रशिक्षण देंगी ही साथ में कई अन्य पर्यावरण प्रेमी प्रशिक्षक भी शामिल होंगे।
प्रकृति में रचे-बसे इस रंगीन और सुगंधित प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण और जनता के स्वास्थ्य को बचाना है।
प्रथम दिन 14 मार्च को, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के 25 गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि टेसू/ पलाश, पोई जैसे कई प्रकार के फूल, सब्जियां और फलों द्वारा प्राकृतिक रंगों को बनाने का सैद्धांतिक और व्यावहारिक प्रशिक्षण लेंगे।
इनमें नारंगी के छिलके, चुकंदर आदि से पारंपरिक प्राकृतिक रंगों का निर्माण किया जाएगा।
खास बात यह है कि 14 मार्च 2019 को सुबह 10 बजे कार्यक्रम का शुभारंभ श्रीमती आर्यमा सान्याल, निदेशक, देवी अहिल्या बाई होलकर एयरपोर्ट, इंदौर के मुख्य आतिथ्य में होगा। इस पूरे सप्ताह के दौरान कई गांव और शहर के पर्यावरण प्रेमी, स्कूल व कॉलेज के विद्यार्थी, सामाजिक संगठनों के स्वयंसेवक प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे। यह प्रशिक्षण सभी के लिए खुला है। इसमें कोई शुल्क या पंजीकरण नहीं है।
प्रतिभागिता के इच्छुक डॉ. जनक पलटा से पूर्व अनुमति लेकर शामिल हो सकते हैं। यह अनुमति उनके मेल आइडी
[email protected] से प्राप्त की जा सकती है।