जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट की निदेशक डॉ. जनक ने अपनी शादी की 30 वीं सालगिरह 27 नवंबर, 2018 को अनूठे अंदाज में मनाई। उन्होंने इस दिन 1 दिवसीय कार्यशाला शादी हो सस्टेनेबल, जिंदगी हो इको फ्रेंडली, का आयोजन किया जिसमें शहर के हर उम्र के व्यक्ति ने प्रतिभागिता दी। विशेषकर युवाओं ने इस अनोखी कार्यशाला में गहरी दिलचस्पी दिखाई।
कार्यक्रम की रूपरेखा 2 भागों में विभाजित की गई थी। जिसमें पहले भाग का उद्देश्य यह था कि कैसे कम से कम खर्च पर स्वच्छ और प्लास्टिक मुक्त विवाह का अयोजन किया जाए ताकि पैसों का दुरुपयोग भी न हो और शादी समारोह के बाद होने वाला कचरा भी कम से कम हो। दूसरे भाग में बताया गया कि कैसे पति-पत्नी अपने नवजीवन की डोर को हर परिस्थिति में थामे रखें। एक दूजे को कमियों और खूबियों के सात स्वीकार करें। एक-दूसरे की संस्कृति, विचारों, भावनाओं और मूल्यों का सम्मान करें।
ना हम शादी में 'कचरा' करें ना ही शादी का 'कचरा' करें, इस थीम पर शहर के उन कपल्स ने अपनी बात रखी जो लंबे समय से खुशी-खुशी साथ जीवन बिता रहे हैं। स्वयं जनक दीदी बताती हैं कि उनके पति विदेशी थे लेकिन उन्होंने भारतीय संस्कृति को इस तरह आत्मसात किया कि हमारा जीवन हमेशा हर हाल में खुशनुमा बना रहा।
उन्होंने बताया कि जीवन का उद्देश्य ईश्वर के प्रेम के लिए प्राणियों में सद्भावना पैदा करना करना है। परिवार से दुनिया चलती है और परिवार शादी से शुरू होता है। उनके पति जिम्मी मगिलिगन के साथ उनकी बहाई शादी सेवाप्रिय जीवन को इसीलिए समर्पित रही क्योंकि उनके सामने विवाह नामक संस्था का दिव्य और पवित्र उद्देश्य स्पष्ट था।
वे दोनों वह संकल्पित थे कि सस्टेनेबल डेवलपमेंट और सस्टेनेबल मैरिज ऐसा जीवन जीने से होगी जिसमें पति-पत्नी दोनों मिलकर सृष्टि का विकास करेंगे और आने वाली पीढ़ी को विरासत में अच्छी दुनिया देंगे।
नवविवाहित युगलों, शादी की इच्छा रखने वाले युवाओं, शादीशुदा कपल्स के लिए यह एक अद्भुत कार्यक्रम रहा।