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जिम्मी मगिलिगन सेंटर में छात्रों ने सीखा प्राकृतिक संसाधनों का कुशल प्रबंधन

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श्री वैष्णव इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, इंदौर 45 छात्रों का एक समूह जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट, ग्राम सनावदिया में प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन को जानने और समझने पंहुचा। 
 
आते ही सबसे पहले उन्होंने झुमते-लहकते हरे-भरे खेत देखे। तत्पश्चात् विशेष तौर पर डिजाइन किया गया सोलर किचन, 13 अलग-अलग तरह के सोलर कुकर, सोलर ड्रायर, सोलर वॉटर हीटर के तकनीकी और व्यावहारिक पक्षों को समझा। 
 
छात्र यह जानकर विस्मित थे कि कैसे 50 भूमिहीन मजदूरों के परिवारों लिए स्ट्रीट लाइट जनक दीदी के घर से पंहुच रही है। पूरे ग्राम में सोलर व पवन चक्की से निशुल्क ऊर्जा दी जा रही है। 
 
छात्रों के समूह में से एक ने जनक दीदी से कहा कि 'आज हमें एहसास हुआ कि हम कितने स्वार्थी हैं जब हम उन लोगों के बारे में नहीं सोचते हैं जिनके पास संसाधन नहीं हैं...
 
जनक दीदी(डॉ. जनक पलटा मगिलिगन) ने  कहा, सस्टेनेबल मैनेजमेंट का एक नैतिक सिद्धांत है प्राकृतिक संसाधनों का सरंक्षण व प्रसार यानी उन लोगों के साथ इन्हें साझा करना करना जिनके पास उपलब्ध नहीं है। ”
 
छात्रों ने कहा वे कल्पना भी नहीं कर सकते थे कि बारिश के दिनों में सूर्य के आकाश में न होने पर खाना ब्रिकेट से पकाया जा सकता है। ब्रिकेट जो बिना बिजली के स्वयं की प्रेस मशीन द्वारा पुराने अखबारों के माध्यम से बनाए गए है।
 
बरसात के समय सेंटर पर ब्रिकेटिंग उनका स्वयं का वैकल्पिक ईंधन है। इसके बाद जनक पलटा मगिलिगन ने पीपीटी द्वारा तीन दशकों से अधिक के अपने अनुभव का बांटा। कैसे अपने पति के साथ आध्यात्मिक जिम्मेदारी समझी और  पृथ्वी के संसाधनों को बचाने में अपने प्रयास जारी रखे। 
 
जनक दीदी अपने सहयोगी नंदा और राजेंद्र चौहान के परिवार के साथ इको फ्रेंडली लाइफ स्टाइल जी रही हैं।

उनके अलावा विशेष सदस्य एक गाय और बछड़े के साथ पालतु कुत्ता भी उनके परिवार का हिस्सा है। 
 
जनक दीदी ने बताया कि वे केवल 1 गैस सिलेंडर का उपयोग करती हैं और 2014 में प्रधान मंत्री के आह्वान पर उन्होंने सब्सिडी छोड़ दी।

उनके घर में केवल चीनी, चाय की पत्ती, नमक और खाना पकाने का तेल बाजार से आता है। इससे उनका बहुत सारा पैसा, समय, ऊर्जा और पर्यावरण तो बचता ही है मन को भी बहुत शांति मिलती है। यही वजह है कि मूल्य वृद्धि,गैस की कमी, नकली भोजन में मिलावट जैसी समस्याओं से वे हर तरह से मुक्त हैं। 
 
जनक दीदी के अनुसार-  

मनुष्य के रूप में हमें मानव, पशु साम्राज्य, वनस्पति और खनिज राज्य के साथ सद्भावना से जीना है। प्राकृतिक संसाधनों का सर्वोतम प्रबंधन ही हमारी जिंदगी का लक्ष्य होना चाहिए। हमें अपने भारतीय मूल्यों और इको सिस्टम के साथ तालमेल वाली जीवनशैली को स्थायी विकल्प बनाना है ताकि हम इस दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने में सफल हों। 
 
छात्र यह जानकर अभिभूत थे कि कैसे केंद्र एक 71 वर्षीय महिला द्वारा बिना किसी आर्थिक सहयोग के चलाया जाता है। यहां आयोजित संपूर्ण प्रशिक्षण और कार्यक्रम नि:शुल्क होते हैं।

जनक दीदी ने अपने जीवनसाथी ब्रिटिश शख्सियत जिम्मी मगिलिगन के साथ भारत में अपना जीवन बिताया और जिम्मी सर ने भी पत्नी जनक के साथ भारत और पर्यावरण की सेवा की। 

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